Bihar Chunav 2025: एक वोट भी पलट देता है पूरा खेल, कहीं 12 तो कहीं सिर्फ 113 वोटों से तय हुआ विजेता, ये हैं बिहार की सबसे हॉट स्विंग सीटें

Bihar Chunav 2025 Swing Seats: ये चुनावी मैदान सिर्फ नक्शे पर दिखाई देने वाले इलाके नहीं हैं; ये बिहार के राजनीतिक ड्रामे की असली धड़कन हैं, जहां गठबंधन, जातिगत समीकरण और उम्मीदवारों का करिश्मा आपस में टकराकर तय करते हैं कि अगली सरकार कौन बनाएगाE

अपडेटेड Nov 03, 2025 पर 3:52 PM
Story continues below Advertisement
Bihar Chunav 2025: कहीं 12 तो कहीं सिर्फ 113 वोटों से तय हुआ विजेता, एक वोट भी पलट देता है पूरा खेल, ये हैं बिहार की सबसे हॉट स्विंग सीटें

बिहार अपने निर्णायक 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटा है। ऐसे में राजनीतिक विषलेश्कों की नजरें उन चुनिंदा विधानसभा क्षेत्रों पर टिकी हैं, जिन्हें स्विंग सीटें कहा जाता है- ऐसे इलाके जहां पिछले चुनावों में जीत का मामूली अंतर इस बात का संकेत है कि मतदाताओं के रुझान में थोड़ा सा भी बदलाव बाजी पलट सकता है। ये चुनावी मैदान सिर्फ नक्शे पर दिखाई देने वाले इलाके नहीं हैं; ये बिहार के राजनीतिक ड्रामे की असली धड़कन हैं, जहां गठबंधन, जातिगत समीकरण और उम्मीदवारों का करिश्मा आपस में टकराकर तय करते हैं कि अगली सरकार कौन बनाएगा। वोटर लिस्ट के नए सिरे से अपडेट होने और गठबंधनों के नए सिरे से तालमेल बिठाने के साथ, हिलसा से बखरी तक की ये स्विंग सीटें चुनावी रोमांच और रणनीतिक रणक्षेत्रों का प्रतीक हैं जो, आखिरकार बिहार के राजनीतिक भविष्य तय कर सकते हैं।

स्विंग सीटें क्या होती हैं?

स्विंग सीटें वे निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां पिछले चुनावों में जीत का अंतर बहुत कम रहा था, और जहां स्थानीय गतिशीलता या गठबंधनों में बदलाव के कारण इस साल नतीजे अलग हो सकते हैं। पार्टियां इन इलाकों में और भी ज्यादा प्रचार प्रसार करती हैं, क्योंकि यहां हार-जीत का अंतर ही ये तय कर सकता है कि कौन सरकार में बैठेगा और कौन विपक्ष में।


इसमें सबसे अहम यह है कि जिन सीटों के बारे में आज हम यहां बात करने जा रहे हैं, वो ऐसी सीटें है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर 1000 वोटों से भी कम का था। एक सीट ऐसी है, जहां महज 12 वोटों के अंतर से ही हार-जीत का फैसला हुआ।

हिलसा: नालंदा जिले में स्थित हिलसा सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। 2020 में, JDU के कृष्णमुरारी शरण (प्रेम मुखिया) ने RJD के अत्री मुनि यादव को 12 वोटों से मामूली अंतर से हराया था। इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 1,65,580 वोटर हैं और 2020 में 54.79% मतदान हुआ था। हिलसा में पहले चरण में 6 नवंबर को वोटिंग होगी। चुनावों से पहले, सभी पात्र मतदाताओं को शामिल करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के जरिए वोटर लिस्ट में संशोधन किया गया था। यह सीट JDU और RJD के बीच एक महत्वपूर्ण चुनावी मैदान बनी हुई है।

बरबीघा: शेखपुरा जिले में स्थित बरबीघा में 2020 में कड़ा मुकाबला देखने को मिला था, जब JDU के सुदर्शन कुमार ने कांग्रेस के गजानंद शाही को 113 वोटों से हराया था। यहां लगभग 1,20,166 मतदाता हैं और पिछली बार 53.13% मतदान हुआ था। बरबीघा में भी 6 नवंबर, 2025 को पहले चरण का मतदान होना है, जहां वोटर लिस्ट SIR के बाद अपडेट की गई है। यहां JDU, कांग्रेस, BJP और RJD गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है।

भोरे: भोरे में 2020 का चुनाव बेहद कांटे का रहा, जिसमें JDU के सुदर्शन कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार गजानंद शाही को मात्र 113 वोटों के अंतर से हराया। दोनों दावेदारों को कुल वोटों का लगभग 33% वोट मिला, जो मतदाताओं के बीच बड़े विभाजन को दर्शाता है। सीट बंटवारे को लेकर RJD के साथ तनाव के बावजूद, कांग्रेस का इस सीट पर अपना दावा जारी रखने का फैसला, भारतीय जनता पार्टी के समग्र समीकरण में बरबीघा के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है। इस बार, JDU ने कांग्रेस के त्रिशूलधारी सिंह के खिलाफ डॉ. कुमार पुष्पंजय को मैदान में उतारा है।

डेहरी: रोहतास जिले की डेहरी एक महत्वपूर्ण सीट है, जहां 2020 में RJD के फते बहादुर सिंह ने BJP के सत्यनारायण सिंह को 464 वोटों के मामूली अंतर से हराया था। यहां लगभग 1,55,327 मतदाता हैं और 52.68% मतदान हुआ था। यह सीट ऐतिहासिक रूप से राज्य के व्यापक राजनीतिक मिजाज को दर्शाती रही है। NDA में इस बार, ये सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के खाते में गई है, जहां राजीव रंजन सिंह इस सीट पर RJD के गुड्डू कुमार चंद्रवंशी के खिलाफ मैदान में हैं।

बछवाड़ा: 2020 का चुनाव वामपंथ बनाम भाजपा के बीच एक जबरदस्त मुकाबले में बदल गया, जहां BJP के सुरेंद्र मेहता ने CPI के अबधेश कुमार राय को केवल 484 वोटों के मामूली अंतर से हराया। दोनों उम्मीदवारों को कुल मतों का लगभग 30% वोट मिला। इस विधानसभा क्षेत्र में CPI का लंबे समय से स्थापित जमीनी आधार अब भी मजबूत बना हुआ है। हालांकि, इस बार वामपंथी दल कई सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, समन्वय की चल रही कोशिशों के बावजूद INDIA गुट के भीतर आंतरिक तनाव ज्यादा साफ दिख रहा है। इस बार, इस सीट पर BJP के सुरेंद्र मेहता, CPI के अब्देश कुमार राय और कांग्रेस के शिव प्रकाश गरीब दास के बीच मुकाबला होगा।

चकाई: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में इसी सीट से सबसे चौंकाने वाले नतीजे आए, जब निर्दलीय उम्मीदवार सुमित कुमार सिंह ने RJD की सावित्री देवी को 581 वोटों के मामूली अंतर से हराया। तब से, समुत कुमार सिंह NDA के साथ हैं, जिससे BJP-JDU गठबंधन की संयुक्त ताकत से उनकी संभावनाओं को बल मिलने की उम्मीद है। हालांकि, RJD इस सीट को फिर से जीतने के लिए उत्सुक है, जिससे एक और कड़े मुकाबले की स्थिति बन गई है। इस बार भी, JDU ने इस सीट पर RJD नेता सावित्री देवी के खिलाफ सुमित कुमार सिंह को मैदान में उतारा है।

कुरहनी: 2020 का विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक रहा, जब RJD के अनिल कुमार सहनी ने BJP के केदार प्रसाद गुप्ता को मात्र 712 वोटों से हराया। RJD को 40.23% वोट मिले, जबकि BJP 39.86% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। मुजफ्फरपुर जिले में स्थित कुरहनी सीट पर अक्सर प्रतिद्वंदी खेमे बदलते रहे हैं और 2022 में भी उपचुनाव हुआ था। इस सीट पर आगामी चुनाव में BJP के केदार प्रसाद गुप्ता और RJD के सुनील कुमार सुमन के बीच मुकाबला देखने को मिल सकता है।

बखरी: CPI के सूर्यकांत पासवान ने 2020 के चुनावों में BJP के रामशंकर पासवान को केवल 777 वोटों के अंतर से हराया। दोनों उम्मीदवारों को कुल वोटों का 43% से ज्यादा वोट मिला, जो एक कड़े मुकाबले को दर्शाता है। बिहार में वामपंथ के बचे हुए आखिरी गढ़ों में से एक, बखरी इस बार एक अहम चुनावी मैदान होगा, खासकर जब NDA अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें तेज कर रहा है। इस बार इस सीट पर CPI के सूर्यकांत पासवान और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संजय कुमार के बीच मुकाबला होने वाला है।

इसके अलावा सासाराम, अलीनगर, राघोपुर, पटना साहिब और सीमांचल के कुछ हिस्सों में त्रिकोणीय या कांटे का मुकाबला हो सकता है, जो AIMIM के प्रवेश और अनुसूचित जाति या अन्य पिछड़ा वर्ग की मजबूत उपस्थिति जैसे फैक्टर पर निर्भर करेगा। ये स्विंग सीटें 2025 में बिहार विधानसभा में अंतिम शक्ति संतुलन को काफी प्रभावित करेंगी।

Bihar Chunav 2025: जाके संग रहल नारी, ओही के किस्मत खुली भारी! NDA या महागठबंधन किसको मिलेगा महिलाओं का साथ?

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।