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Bihar Chunav Survey: बिहार में किस तरफ दलित और OBC वोटर...क्या NDA को मिलेगा फायदा? सर्वे में सामने आए ये आंकड़े

Bihar Chunav Survey : बिहार में इस चुनावी बयार के बीच एक हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। हाल ही में आए ‘बैटल ऑफ बिहार 2025’ सर्वे में बिहार चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस सर्वे में दलित और ओबीसी वोटर्स को लेकर भी आंकड़े रखे गए हैं

अपडेटेड Sep 24, 2025 पर 3:52 PM
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Bihar Chunav Survey : बिहार में इस चुनावी बयार के बीच एक हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

Bihar Chunav Survey : बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों का अभी तक ऐलान नहीं हुआ है पर सूबे में सियासी बयार काफी तेजी से बह रही है। बिहार में चुनाव से पहले सभी दल अपना दमखम दिखाने को तैयार दिख रहे हैं। वहीं बिहार में इस चुनावी बयार के बीच एक हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं।  हाल ही में आए बैटल ऑफ बिहार 2025’ सर्वे में बिहार चुनाव को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस सर्वे में दलित और ओबीसी वोटर्स को लेकर भी आंकड़े रखे गए हैं।

बिहार चुनाव में दलित वोटों का समीकरण

बिहार में दलित या अनुसूचित जाति समुदाय राज्य की कुल आबादी का करीब 20% हिस्सा हैं। मौजूदा हालात में एनडीए को महागठबंधन पर बढ़त मिलती दिख रही है। दलितों की तीन बड़ी उपजातियां हैं चमार (5%), पासवान (5%) और मुसहर (3%)। इनमें से पासवान और मुसहर समुदाय का झुकाव एनडीए की ओर माना जा रहा है। वजह यह है कि लोजपा नेता चिराग पासवान पासवान समुदाय से आते हैं और हम पार्टी के जितन राम मांझी मुसहर समुदाय से, और दोनों ही एनडीए में शामिल हैं।

दलित राजनीति में बदलाव

वहीं, चमार समुदाय का झुकाव ज्यादातर महागठबंधन की ओर है। इसका कारण पासवान विरोधी भावना है, जिसकी जड़ें बिहार की जटिल जातिगत राजनीति में काफी पुरानी हैं। सर्वे में यह भी सामने आया है कि दलित युवाओं के बीच चंद्रशेखर रावण की आज़ाद समाज पार्टी (उत्तर प्रदेश) को लेकर रुचि बढ़ रही है। यह रुझान बताता है कि आने वाले समय में दलित वोटिंग पैटर्न में बदलाव और बिखराव देखने को मिल सकता है।


ओबीसी वोटों का बंटवारा

बिहार की आबादी में हिंदू अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की हिस्सेदारी करीब 26% है। यह वर्ग लंबे समय से एनडीए का परंपरागत समर्थक रहा है। सर्वे के मुताबिक, इस बार भी उनका रुझान एनडीए के पक्ष में जा सकता है। हालांकि, अगर महागठबंधन टिकट बंटवारे में ईबीसी को ज्यादा प्रतिनिधित्व देता है, तो उनकी ओर इन वोटों के जाने की संभावना बन सकती है। बिहार की आबादी में ओबीसी वोटरों की हिस्सेदारी करीब 25% है। इन वोटरों में साफ बंटवारा दिखता है। यादव समुदाय मजबूती से राजद के साथ खड़ा है, जबकि गैर-यादव ओबीसी का झुकाव पूरी तरह से एनडीए की ओर है। वहीं यादव ओबीसी (करीब 11%) लंबे समय से लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार का परंपरागत समर्थन करते रहे हैं।

कोइरी-कुर्मी वोटरों का रुख

बिहार की आबादी में कोइरी-कुर्मी (कुशवाहा) समुदाय की हिस्सेदारी करीब 7% है। अब तक यह वर्ग ज्यादातर एनडीए का समर्थक रहा है। इसका कारण यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं, जबकि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और आरएलएम नेता उपेंद्र कुशवाहा कुशवाहा समुदाय से हैं। हालांकि, सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि कुशवाहा समुदाय का एक बड़ा हिस्सा महागठबंधन की ओर भी झुक सकता है, जैसा कि लोकसभा चुनावों और उत्तर प्रदेश में देखने को मिला था।

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