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Bihar Chunav 2025: दो चरण में होगा बिहार का चुनावी रण, हार जीत से पहले मनाने-लुभाने की नीति, कहीं अंदरूनी कलह, तो किसी की अग्निपरीक्षा

Bihar Chunav 2025: चुनाव आयोग की घोषणा ने दो मुख्य राजनीतिक मोर्चों के बीच महीनों से चल रही गहन तैयारी के बाद एक रोमांचक मुकाबले का मंच तैयार कर दिया है। एक तरफ सत्तारूढ़ NDA है - जिसमें BJP, JDU, LJP (रामविलास) और HAM(S) शामिल हैं, जबकि दूसरी तरफ प्रमुख विपक्ष के रूप में RJD, कांग्रेस और वामपंथी दलों का महागठबंधन है

अपडेटेड Oct 06, 2025 पर 7:04 PM
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Bihar Chunav: दो चरण में होगा बिहार का चुनावी रण, हार जीत से पहले मनाने-लुभाने की नीति, कहीं अंदरूनी कलह, तो किसी की अग्निपरीक्षा

243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में होंगे, जिसके लिए 6 नवंबर को पहले चरण की और 11 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग होगी और नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। बिहार चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आगामी बिहार चुनावों में 7.4 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं, जिनमें 14 लाख पहली बार वोट डालने वाले वोटर हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार चुनाव पारदर्शी और शांतिपूर्ण तरीके से होंगे।

चुनाव आयोग की घोषणा ने दो मुख्य राजनीतिक मोर्चों के बीच महीनों से चल रही गहन तैयारी के बाद एक रोमांचक मुकाबले का मंच तैयार कर दिया है। एक तरफ सत्तारूढ़ NDA है - जिसमें BJP, JDU, LJP (रामविलास) और HAM(S) शामिल हैं, जबकि दूसरी तरफ प्रमुख विपक्ष के रूप में RJD, कांग्रेस और वामपंथी दलों का महागठबंधन है।

इसके अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की एंट्री ने दोतरफा संघर्ष को और भी रोमांचक बना दिया है, जिसमें राजनीतिक रणनीतिकार ने पारंपरिक खिलाड़ियों को पीछे छोड़ने और राज्य में अरविंद केजरीवाल स्टाइल की उथल-पुथल मचाने का वादा किया है।


बिहार में क्या दांव पर लगा है?

चौथी सबसे बड़ी विधानसभा वाला बिहार देश के सबसे नजदीकी राजनीतिक मंचों में से एक बना हुआ है। राज्य का जटिल जातीय समीकरण, कानून-व्यवस्था की समस्याओं का इतिहास, बढ़ती गरीबी और बढ़ते पलायन ने राज्य की प्रमुख पार्टियों के चुनावी ताने-बाने को आकार दिया है। बिहार लोकसभा में 40 सदस्य भी भेजता है, जिस वजह से BJP और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए ये एक और राजनीतिक मैदान बन जाता है।

2025 में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में अपनी सबसे बड़ी परीक्षा का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उनकी नजर रिकॉर्ड 10वीं बार सत्ता में आने पर है। अपने अलग तेवर के लिए जाने जाने वाले नीतीश, जो हमेशा सत्ता में बने रहने की अपनी कला के लिए जाने जाते हैं, अब बढ़ती सत्ता-विरोधी लहर, NDA के भीतर घटते प्रभाव और अपने स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं का सामना कर रहे हैं।

ये चुनाव BJP के लिए भी अग्निपरीक्षा होंगे, जो किसी विश्वसनीय चेहरे की कमी के बावजूद NDA में मुख्य ताकत बनकर उभरी है। खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बल पर, पार्टी ने राज्य में अपनी जगह बनाई है और चुनाव दर चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली RJD के लिए सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई है।

तेजस्वी के लिए, यह चुनाव बिहार में RJD की पकड़ फिर से मजबूत करने और अपने माता-पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का एक और मौका है। यादव परिवार के वंशज 2020 में भी इस लक्ष्य के काफी करीब पहुंच गए थे, जब RJD बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।

हालांकि, सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं था। तेजस्वी अक्सर अपने पिता के जंगल राज के दौर की विरासत से घिरे रहते हैं, फिर भी वे बिहार की राजनीति पर नीतीश कुमार की लंबे समय से चली आ रही पकड़ के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

PK की अग्निपरीक्षा

वहीं यह चुनाव प्रशांत किशोर के लिए भी पहली राजनीतिक परीक्षा होंगे, जो एक चुनावी रणनीतिकार हैं और अपने करियर के सबसे बड़े चुनाव का सामना करने के लिए पर्दे के पीछे से निकलकर मुख्य मंच पर आ गए हैं और पूरी ताकत से खुद को इसमें झोंक रहे हैं।

चुनावों से पहले, PK ने पारंपरिक जातिवादी राजनीति को छोड़कर विकास से जुड़े चुनावी मुद्दे को अपनाने का फैसला किया है, जो एक ऐसा दांव है, जो दोनों तरफ से फायदेमंद साबित हो सकता है।

चिराग ने बढ़ाई BJP की टेंशन

इन सब चेहरों में एक एक नाम ऐसा भी है, जिसने गठबंधन में होते हुए भी BJP की टेंशन बढ़ा रखी है, वो कोई और नहीं बल्कि मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान हैं।

चिराग पासवान कई मौकों और खुले मंचों पर ये कह चुके हैं कि उन्हें बिहार के लिए काम करना है और केंद्र में उनका मन नहीं लगता है। अपने दावों को गठबंधन और जनता दोनों के बीच मजूबत करने के लिए उन्होंने एक नारा भी दिया- 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट'। चिराग इस नारे को अपनी सोच बताते हैं और बिहार की राजनीति में अपने आप को एक बड़ा प्लेयर बताने का दावा करते हैं।

खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'हनुमान' बताने वाले चिराग NDA में सीट बंटवारे के लिए भी बड़े से बड़ा दांव खेलने से नहीं डर रहे हैं। चिराग खुलेआम कहा कि वे अपनी पार्टी के लिए सम्मानजनक सीटें चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि ये सम्मानजनक आंकड़ा करीब 40 सीटों का है, जबकि बीजेपी उन्हें 20-22 सीटें देने को तैयार है।

चिराग सिर्फ सीट बंटवारे को लेकर ही नहीं, बल्कि कई मौकों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार की कानून व्यवस्था पर भी कड़ी आलोचना कर चुके हैं और JDU के तो वे पुराने आलोचक रहे हैं। इसके पीछे चिराग ये तर्क दे चुके हैं कि वे केवल केंद्र की सरकार में हैं, राज्य सरकार में शामिल नहीं हैं।

बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले ये खबर आ रही थी कि चिराग पासवान के नेतृत्व वाली LJP (रामविलास) BJP के साथ केवल विधानसभा सीटों पर बातचीत करेगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि पार्टी MLC या राज्यसभा सीट की मांग नहीं करेगी।

मुख्य मुद्दे जो बिहार में छाए रहे

बिहार की राजनीति में भले ही जातीय समीकरण हमेशा सबसे बड़ा फैक्टर रहता है, लेकिन हाल के हफ्तों में कई और मुद्दों ने भी चुनावी माहौल को गर्माया है।

सबसे ज्यादा चर्चा में रहा चुनाव आयोग का “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)” अभियान, जो करीब 22 साल बाद पहली बार चलाया जा रहा है। आयोग का कहना है कि इसका मकसद वोटर लिस्ट को “शुद्ध” करना है, यानी फर्जी, डबल या मृत वोटरों के नाम हटाना।

लेकिन विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि लाखों अल्पसंख्यक, दलित और प्रवासी मतदाताओं (खासकर महिलाएं) को गलत तरीके से लिस्ट से हटा दिया गया है। विपक्ष ने इसे “वोट चोरी” अभियान करार देते हुए कांग्रेस और राहुल गांधी के नेतृत्व में बड़ा मुद्दा बनाया है।

इसके अलावा, एंटी-इंकम्बेंसी (विरोध की लहर), विकास और लुभावने वादे भी जनता के बीच बड़ी चर्चा का विषय बने हुए हैं। वोटरों की नाराजगी को कम करने के लिए NDA सरकार ने हाल ही में महिलाओं, गरीब तबकों और पिछड़े इलाकों को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं शुरू की हैं।

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