बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच RJD के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। एक के बाद एक नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध अब खुलकर सामने आने लगा है। इसी बीच रविवार (19 अक्टूबर) को पटना स्थित लालू-राबड़ी आवास के बाहर फिर से हंगामे का माहौल बन गया, जब बाराचट्टी विधानसभा सीट से टिकट की दावेदार ऊषा देवी को टिकट नहीं मिलने पर, वे मीडिया के सामने फूट-फूट कर रो पड़ीं।
ऊषा देवी ने मीडिया से बातचीत में भावुक होकर कहा, "मैं लालू यादव की बेटी जैसी हूं, तेजस्वी मेरे भैया जैसे हैं। लेकिन आज बहुत दुख हुआ कि मुझे टिकट नहीं मिला। मैं 2005 से पार्टी के लिए काम कर रही हूं, 20 साल से झंडा ढो रही हूं, लेकिन टिकट पैराशूट से आए लोगों को दे दिया गया।"
रोते हुए ऊषा देवी ने कहा कि उन्हें दो दिन पहले तेजस्वी यादव ने कहा था कि उन्हें ही टिकट दिया जाएगा। उन्होंने कहा "भैया बोले थे - तुम्हें टिकट मिलेगा, लेकिन आज सुबह पता चला कि मेरे जगह समता देवी को टिकट दे दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने कहा हम गांव जा रहे है, हम प्रचार करेंगे, लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि झंडा ढोने वाले को भी मौका दीजिए।"
हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि टिकट के लिए उनसे पैसे नहीं मांगे गए, लेकिन जिस तरह से टिकट बांटे जा रहे हैं, उससे मन दुखी है। जो लोग आज पार्टी में नए आए हैं, वे टिकट लेकर उड़ जा रहे हैं। और हम जैसे पुराने कार्यकर्ता, जो पार्टी के कठिन वक्त में भी साथ रहे, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।
बता दें कि इससे पहले मधुबन विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार मदन शाह ने टिकट न मिलने पर आवास के बाहर ही कुर्ता फाड़कर प्रदर्शन किया था। उन्होंने RJD सांसद संजय यादव पर टिकट बेचने के आरोप लगाए थे।
अब ऊषा देवी का यह भावुक विरोध पार्टी के अंदर असंतोष की तस्वीर को और साफ कर रहा है। टिकट वितरण को लेकर RJD के पुराने और नए चेहरों के बीच खींचतान खुलकर सामने आ चुकी है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर RJD अंदरूनी नाराजगी को समय रहते शांत नहीं कर पाई, तो इसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है।
फिलहाल, लालू-राबड़ी आवास टिकट विवाद का केंद्र बना हुआ है, जहां कभी कोई कार्यकर्ता टिकट मांगने पहुंचता है, तो कोई टिकट कटने के बाद अपना गुस्सा जाहिर करता है।