Mahila Rojgar Yojana: बिहार में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, नीतीश सरकार की 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत पहली किस्त की राशि लाभार्थियों के खाते में भेज दी गई है। सोमवार को सीधे बैंक खातों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए 10-10 हजार रुपये की राशि ट्रांसफर की गई, जिससे लाखों महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने या उसे आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत कुल 5,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने हैं।
पहले ₹10 हजार फिर ₹2 लाख तक का लोन भी
'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' केवल एकमुश्त मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक चरणबद्ध वित्तीय सहायता मॉडल पर आधारित है। पहले चरण में महिलाओं को ₹10,000 की शुरुआती राशि दी गई है। इसके बाद, उनके व्यवसाय की प्रगति को देखते हुए, उन्हें ₹15,000, ₹75,000 या अधिकतम ₹2 लाख तक का लोन भी दिया जाएगा। इन लोन पर 12% प्रति वर्ष की रियायती ब्याज दर तय की गई है, जबकि इसे चुकाने के लिए 1 से 3 साल का लचीला समय मिलेगा, ताकि महिलाओं पर कोई एक्सट्रा बोझ न पड़े।
1 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने किया आवेदन
यह योजना सिर्फ उन महिलाओं के लिए है जो जीविका स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी हुई हैं। आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1.05 करोड़ से ज्यादा जीविका दीदियों ने इस योजना के लिए आवेदन किया है, जबकि 1.40 लाख से अधिक महिलाएं हाल ही में समूह से जुड़ने के लिए आवेदन कर चुकी हैं। यह दिखाता है कि इस योजना को लेकर महिलाओं में कितना उत्साह है। शहरी क्षेत्रों में भी 4.66 लाख से ज्यादा जीविका दीदियों ने आवेदन किया है।
ये है आवेदन करने की प्रक्रिया
महिला रोजगार योजना के लिए आवेदन की प्रक्रिया बेहद आसान है। ग्रामीण इलाकों में जो महिलाएं पहले से SHG से जुड़ी हैं, वे अपना आवेदन अपने ग्राम संगठन में जमा कर सकती हैं। वहीं, जो महिलाएं अभी तक समूह का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें पहले ग्राम संगठन में फॉर्म भरकर समूह में शामिल होने के लिए आवेदन करना होगा। शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं जीविका की वेबसाइट (www.brlps.in) पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं, लेकिन जो महिलाएं पहले से ही SHG से जुड़ी हैं, उन्हें ऑनलाइन आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।
क्या है जीविका और क्यों अहम है यह योजना?
जीविका दीदी योजना का संचालन बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (BRLPS) द्वारा किया जाता है। इसे 2006 में विश्व बैंक की मदद से शुरू किया गया था। वर्तमान में, राज्य में 10.81 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनसे 1.34 करोड़ से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। ये समूह महिलाओं को कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प और अन्य छोटे उद्योगों से आय बढ़ाने में मदद करते हैं। यह योजना न सिर्फ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त कर रही है, बल्कि उन्हें उद्यमिता और तकनीकी प्रशिक्षण देकर पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने का एक मजबूत संदेश भी दे रही है। यह एक ऐसा कदम है जो बिहार की राजनीति और समाज में महिलाओं की ताकत को साधने की एक बड़ी रणनीति मानी जा रही है।