बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर भारी उथल-पुथल शुरू हो गई है। चुनाव नतीजों के तीसरे दिन सोमवार (17 नवंबर) शाम पटना के राबड़ी आवास के बाहर अचानक सैकड़ों की संख्या में RJD कार्यकर्ता जमा हो गए और जोरदार हंगामा करने लगे। कार्यकर्ताओं ने पार्टी के राज्यसभा सांसद और तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, 'संजय यादव मुर्दाबा, संजय यादव को हरियाणा भेजो', जैसे नारे राबड़ी आवास के बाहर गूंजते रहे।
संजय यादव पर कार्यकर्ताओं का भड़का गुस्सा
RJD की इस बार की बुरी हार को लेकर कार्यकर्ता खुले तौर पर संजय यादव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि टिकट चयन से लेकर प्रचार रणनीति तक, पूरी पार्टी संजय यादव के इशारे पर चलती रही, जिसके कारण संगठन कमजोर हुआ और जनता में गलत संदेश गया। कई कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि पुराने और जमीनी नेताओं को किनारे कर संजय यादव व उसके 'बाहरी समूह' को अधिक अहमियत दी गई, जिसका सीधा असर चुनाव परिणामों में दिखा।
रोहिणी आचार्य के साथ बदसलूकी की घटना ने बढ़ाया आक्रोश
पिछले दो दिनों से RJD सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या लगातार सोशल मीडिया पर पार्टी के अंदरूनी कलह और संजय यादव,,रमीज़ खान और तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगा रही हैं। रोहिणी ने यहां तक कहा कि उनसे 'चप्पल उठाकर मारने' और 'गंदी किडनी लगवाने' जैसे अपमानजनक शब्द कहे गए।
कार्यकर्ताओं में इस घटना को लेकर भी भारी असंतोष है। वे कह रहे हैं, "जिस बेटी ने लालू जी की जिंदगी बचाई, उसी को अपमानित किया गया, ये बर्दाश्त नहीं।"
सोमवार शाम RJD विधायक दल की बैठक के बाद तेजस्वी यादव को एक बार फिर नेता चुना गया। बैठक समाप्त होते ही अचानक दर्जनों कार्यकर्ता राबड़ी आवास के बाहर जुट गए और संजय यादव के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। हालात तनावपूर्ण होते देख सुरक्षा बढ़ानी पड़ी। कार्यकर्ता लगातार संजय यादव को पार्टी की बर्बादी का जिम्मेदार बताते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी
हंगामे के बीच लालू प्रसाद यादव राबड़ी आवास से मरीन ड्राइव निकलने वाले थे। गुस्साए कार्यकर्ता उम्मीद कर रहे थे कि लालू उनसे बात करेंगे, लेकिन लालू प्रसाद बिना रुके गाड़ी में बैठकर निकल गए। इससे कार्यकर्ताओं का आक्रोश और बढ़ गया।
बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद RJD की हालत पहले से भी खराब हो गई है। पार्टी सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई, टिकट बंटवारे को लेकर भारी नाराज़गी खुलकर सामने आ चुकी है, रोहिणी आचार्या ने पार्टी और परिवार दोनों से नाता तोड़ लिया, तेजप्रताप पहले ही अलग राह पकड़ चुके हैं और अब कार्यकर्ता भी खुलेआम बगावत पर उतर आए हैं।