NDA Seat Sharing: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। NDA और महागठबंधन दोनों में सीटों के बंटवारें को लेकर अभी जद्दोजहत जारी है। NDA गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे की तस्वीर अभी भी धुंधली है। JDU और BJP के बीच सीटों का फॉर्मूला कथित तौर पर लगभग तय है, लेकिन चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के साथ समझौता होना बाकी है, जिससे गठबंधन में अभी भी तनाव बना हुआ है।
चिराग पासवान ने की 40 सीटों की डिमांड, BJP 27 पर अड़ी
चिराग पासवान फिलहाल NDA के अंदर प्रमुख तौर पर चुनौती गतिरोध की पार्टी की हिस्सेदारी को लेकर है। LJP(R) लगभग 40 विधानसभा सीटों की मांग कर रही है, जबकि BJP इसे 22 से 27 सीटों तक सीमित रखना चाहती है। सीटों को लेकर यही विवाद गठबंधन में खींचतान का मुख्य वजह बन गया है।
गठबंधन के भीतर तनाव को सुलझाने के लिए, NDA के बिहार चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मंगलवार को दिल्ली पहुंचे। उन्होंने चिराग पासवान के साथ 40 मिनट तक चली एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस दौरान LJP(R) ने अपनी मुख्य मांगे रखीं।
1- पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर विधानसभा की 'सम्मानजनक' सीटों की मांग की।
2- सीटों के आवंटन में 2020 के विधानसभा चुनावों में LJP को मिले वोट शेयर को भी ध्यान में रखा जाए।
3- LJP द्वारा जीती गई प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के भीतर कम से कम दो विधानसभा सीटें आवंटित की जाएं।
4- गोविंदगंज से प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए सीटें सुनिश्चित की जाएं।
BJP ने चिराग पासवान को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर पार्टी स्तर पर चर्चा की जाएगी और जल्द ही इस पर प्रतिक्रिया दी जाएगी।
LJP(R) के अलावा, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) प्रमुख जीतन राम मांझी के साथ भी सीट बंटवारे का विवाद अभी अनसुलझा है। मांझी भी लगभग 20 सीटों की मांग कर रहे हैं। प्रधान लगातार मांझी के साथ भी बातचीत कर रहे हैं ताकि NDA के सभी घटकों के बीच आम सहमति बनाई जा सके।
जल्द हो सकता है अंतिम ऐलान
अगर आज की चर्चाओं के पॉजिटिव नतीजे सामने आते हैं, तो NDA अगले दो से तीन दिनों के भीतर अपनी अंतिम सीट-शेयरिंग फॉर्मूले की घोषणा कर सकता है। शीर्ष नेतृत्व का लक्ष्य है कि 10 अक्टूबर से पहले इस फॉर्मूले को अंतिम रूप दे दिया जाए, ताकि उम्मीदवारों की घोषणा और चुनाव अभियान शुरू करने में किसी तरह की देरी न हो।