Bihar Election 2025: राजनीति में समय-समय पर अजीबोगरीब घटनाएं देखने को मिलती हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। हफ्तों की कड़ी सौदेबाजी के बाद भी, विपक्षी महागठबंधन सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर आम सहमति तक पहुंचने में विफल रहा। इस असहमति का सबसे अजीब नतीजा दरभंगा जिले की गौरा बौराम विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है। आइए आपको बताते हैं आखिर क्या है मजरा।
गौरा बौराम सीट पर हो रही गजब की लड़ाई
गौरा बौराम विधानसभा सीट एक ऐसी अनोखी सियासी लड़ाई की गवाह बनेगी, जहां RJD के शीर्ष नेता तेजस्वी यादव को उसी उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करना पड़ेगा, जो उनकी पार्टी के लालटेन चुनाव चिह्न पर मैदान में है। महागठबंधन सहयोगियों के बीच मतभेद दूर न हो पाने के कारण, बिहार की कई सीटों पर 'दोस्ताना लड़ाई' देखने को मिल रही है, लेकिन गौरा बौराम का मामला सबसे अलग है।
RJD ने दिया सिंबल, फिर कर लिया गठबंधन
इस अजीबोगरीब स्थिति के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है। महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अंतिम रूप लेने से पहले RJD नेतृत्व ने अपने नेता अफजल अली खान को गौरा बौराम से मैदान में उतारने का फैसला किया था। पार्टी ने उन्हें आधिकारिक तौर पर लालटेन चुनाव चिह्न और उम्मीदवार घोषित करने वाले सभी दस्तावेज सौंप दिए। अफजल अली खान ने अपना प्रचार शुरू करने की तैयारी कर ली, लेकिन तभी RJD और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के बीच एक नया सीट शेयरिंग समझौता हुआ। इस समझौते के तहत, गौरा बौराम सीट VIP के खाते में चली गई, और महागठबंधन के सभी सहयोगियों को VIP उम्मीदवार संतोष सहनी का समर्थन करना था।
अफजल अली ने नाम वापस लेने से किया इनकार
RJD और VIP में हुए समझौते के बाद RJD नेतृत्व ने अफजल अली खान से संपर्क किया और उनसे पार्टी का सिंबल वापस करने और चुनाव से हटने का आग्रह किया, लेकिन अफजल ने इनकार कर दिया और RJD उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर दिया। जब RJD के पदाधिकारियों ने चुनाव अधिकारियों को सूचित किया कि अफजल अली खान की उम्मीदवारी पार्टी की सहमति के बिना है, तो अधिकारियों ने हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि संबंधित व्यक्ति ने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है और उसके पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं।
परिणाम यह हुआ कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर अफजल अली खान के नाम के आगे RJD का लालटेन चिह्न दिखाई देगा, जबकि तेजस्वी यादव खुद उसी चुनाव चिह्न वाले उम्मीदवार के खिलाफ VIP उम्मीदवार संतोष सहनी के लिए प्रचार करेंगे।
वोटों के बंटवारें की सता रही चिंता
महागठबंधन के सहयोगी (RJD सहित) VIP उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं, लेकिन अफजल अली खान की उम्मीदवारी के कारण RJD के पारंपरिक वोटों में भ्रम और विभाजन होने की आशंका है, जिसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है।2020 के पिछले बिहार चुनावों में यह सीट VIP की स्वर्ण सिंह को मिली थी, लेकिन बाद में उन्होंने BJP का दामन थाम लिया था। 2010 और 2015 के चुनावों में यह सीट JDU ने जीती थी।