Cinema Ka Flashback: मौसमी चटर्जी हिंदी और बंगाली फिल्म उद्योग में अपने काम के लिए व्यापक रूप से जानी जाती हैं। 1980 में, उन्होंने चंबल की कसम में अभिनय किया, जिसमें राजकुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, फरीदा जलाल, अमजद खान और रंजीत जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था।
चंबल की कसम साल की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक थी, लेकिन सिनेमाघरों में रिलीज़ होने पर दर्शकों को निराश कर गई। बड़े स्टार कास्ट के बावजूद, फिल्म दर्शकों को आकर्षित करने में नाकाम रही और बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई।
हालांकि फिल्म नहीं चली, लेकिन कलाकारों ने शूटिंग के दौरान ज़िंदगी भर की यादें ज़रूर बना लीं। द कपिल शर्मा शो के एक पुराने एपिसोड में, रंजीत ने फिल्म के सेट का एक किस्सा सुनाया था और बताया कि जब राजकुमार ने फिल्म में नहाने का एक सीन को फिल्म में जोड़ने का सुझाव दिया तो क्या हुआ।
रंजीत ने याद करते हुए कहा, "हम साथ बैठे थे, तभी राज कुमार ने अचानक सुझाव दिया, 'जानी, तुम मौसमी और मेरा नदी में नहाते हुए एक सीन क्यों नहीं फिल्माते?"रंजीत ने आगे बताया कि मौसमी इस सुझाव से हैरान रह गईं और उन्होंने तुरंत साफ़ कर दिया कि वह ऐसा नहीं करना चाहतीं। उन्होंने कहा, "नहीं राज जी, मुझे तैरना नहीं आता।"
फिल्म की शूटिंग के दौरान राजकुमार और मौसमी चटर्जी के बीच खूब बहस हुई थी। फिल्म की शूटिंग के दौरान एक्टर ने जब डायरेक्टर से मौसमी चटर्जी और उनका तालाब में एक साथ नहाने का सीन कराने को कहा तो मौसमी ने कहा कि मुझे तैरना नहीं आता है, मैं ये सीन बिल्कुल नहीं करूंगी। मौसमी को एक्टर की बात जरा भी पसंद नहीं आई थी।
जब राज कुमार ने आश्वासन दिया, "जानी, मैं तुम्हारे साथ हूं, तुम चिंता क्यों करती हो?" मौसमी ने मज़ाक में कहा, "अगर तुम्हारी विग नदी में बह गई, तो तुम अपनी विग बचाओगे या मुझे?" हालांकि, राज कुमार बंगाली स्टार की बातों से नाराज़ नहीं हुए। बल्कि, वे ठहाका लगाकर हंस पड़े।
मौसमी चटर्जी ने 1972 में फिल्म अनुराग से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। इसके बाद, उन्होंने 1974 की हिट फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में भी अभिनय किया।1979 में चटर्जी ने अमिताभ बच्चन के साथ मंजिल में भी काम किया। वह आनंद आश्रम (1977), वतन के रखवाले (1987), बेनाम (1974) जैसी फिल्मों में भी नजर आईं।