Deepika Padukone: वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर दीपिका पादुकोण ने मध्य प्रदेश का दौरा किया, जहां उन्होंने अपने फाउंडेशन लिव लव लाफ के 10 साल पूरे होने का खास जश्न मनाया। यह फाउंडेशन देशभर में मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता और समर्थन देने में खास भूमिका निभा रहा है।
एक्टर जो पिछले दस साल से मेटल हेल्थ के लिए मज़बूत आवाज़ रही हैं, उन्होंने इस कार्यक्रम में अपने सफर और फाउंडेशन के असर के बारे में बात की। यह दौरा सिर्फ फाउंडेशन की सफलता का जश्न नहीं था, बल्कि देश में मेंटल हेल्थ को लेकर बनी झिझक को खत्म करने के लिए उनके समर्पण को दोहराने जैसा था।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कभी लगा कि जो उन्हें सही लगता है, उसकी मांग करने के लिए उन्हें कीमत चुकानी पड़ेगी, तो दीपिका ने बहुत सोच-समझकर जवाब दिया, ऐसा जवाब जो उनकी सादगी और ईमानदारी दोनों को दर्शाता है।
“मैंने ये कई लेवल्स पर किया है, मेरे लिए ये नई बात नहीं है। मुझे लगता है कि पैमेंट जैसी चीज़ों के मामले में भी मुझे जो कुछ भी मिला, उससे निपटना पड़ा। मुझे नहीं पता इसे क्या कहूं, लेकिन मैं हमेशा अपनी लड़ाइयां चुपचाप लड़ती हूं। और किसी अजीब वजह से कभी-कभी ये सार्वजनिक हो जाती हैं, जो मेरे तरीके की बात नहीं है और न ही मैं ऐसे पली-बढ़ी हूं। लेकिन हां, अपनी लड़ाइयां लड़ना और इसे चुपचाप और गरिमा के साथ करना ही मेरा तरीका है।”
वहीं उन्होंने सीएनबीसी-टीवी 18 को दिए एक इंटरव्यू में 8 घंटे की शिफ्ट को लेकर भी काफी कुछ कहा है। दीपिका ने बॉलीवुड के लिए डबल स्टैंडर्ड शब्द का यूज किया। एक्ट्रेस ने कहा कि अगर एक महिला होने के नाते यह दबाव डालने जैसा है, तो ये लंबे समय से होता आ रहा है। लेकिन यह कोई छुपी बात नहीं है कि हमारी इंडस्ट्री में कई मेल सुपरस्टार सालों से 8 घंटे ही काम करते आ रहे हैं और यह कभी हैडलाइन नहीं बना।
उन्होंने आगे कहा कि मैं अभी किसी का नाम नहीं लेना चाहती हूं और इस मामले को इतना तूल भी नहीं देना चाहती, लेकिन यह बहुत कॉमन सी बात है, पब्लिकली कई मेल एक्टर्स के बारे में लोगों को पता है, जो सालों से 8 घंटे काम कर रहे हैं। उनमें से कई ऐसे भी हैं जो सिर्फ सोमवार से शुक्रवार तक केवल 8 घंटे काम ही करते हैं, वे वीकेंड में भी काम नहीं करते हैं।
उनके शब्दों ने न सिर्फ उनके सफर को बयान किया, बल्कि इंडस्ट्री में हो रही बातों पर भी ध्यान खींचा, जहां बराबरी, इंसाफ और सम्मान की चर्चा होती है। अपनी पहचान के मुताबिक, दीपिका आज भी अपने हर मकसद को बेहद सादगी, हिम्मत और सच्चाई के साथ आगे बढ़ा रही हैं, भले ही वो पर्दे पर हो या उसके बाहर हो। अपने काम और अपने शब्दों के ज़रिए दीपिका पादुकोण एक बार फिर सबको याद दिलाती हैं कि ताकत हमेशा ज़ोर से बोलने में नहीं होती, बल्कि कभी-कभी वो खामोशी, सादगी और आपके मकसद में भी झलकती है।