Mandala Murders Review: वाणी कपूर की नई माइथोलॉजिकल सस्पेंस थ्रिलर सीरीज 'मंडला मर्डर्स' नेटफ्लिक्स पर स्ट्रिम हो रही है। इस फिल्म में एक्ट्रेस ने एसपी री थॉमस का किरदार निभा रही हैं, जो ‘यंत्र, ऊर्जा और वरदान’ की रहस्यमय दुनिया को समझने की कोशिश करती हैं। इस सीरीज के कुल 8 पार्ट है, जिसके हर एपिसोड में एक नया राज खुलता है। ये सीरीज अनुष्ठानिक हत्याएं, राक्षस पूजा और एक पौराणिक पंथ जुड़ा है।इसकी कहानी की शुरुआत चरणदासपुर नाम के एक गांव से होती है, जहां पर पुराने जमाने की लोककथाएं, खौफनाक बलि-प्रथाएं और पुलिस की गहन जांच-पड़ताल एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हैं। इस सीरीज को देखने से पहले जाने कैसी है ये सस्पेंस थ्रिलर सीरीज 'मंडला मर्डर'
इस सीरीज की कहानी की शुरुआत 1952 में चरणदासपुर के वरुण वन से होती है, जहां रुक्मिणी नाम की एक रहस्यमयी महिला एक मृत शरीर को जीवित करने की कोशिश करती है। महिला का मानना था कि अगर वह सफल हुई, तो दुनिया बदल सकती है। लेकिन उसके इस अनुष्ठान के बीच गांव के कुछ लोग वहां पहुंचते हैं और उसे काला जादू मानते हुए उसकी साधना को रोकने की कोशिश करते हैं। 1952 में रुक्मिणी असफल रहती है, लेकिन 2025 में उसकी पोती इस मिशन को पूरा करने निकलती है।
कहानी में पता चलता है कि रुक्मिणी ‘आयस्तियों’ नाम के समुदाय से जुड़ी है और एक खास यंत्र की तलाश में है, जो ब्रह्मांड की ऊर्जा को नियंत्रित कर सकता है और उनके देवता ‘यस्त’ को फिर से जीवित कर सकता है। यह प्रक्रिया इंसानी बलि और खास अनुष्ठानों से पूरी होती है, जिसमें गुप्त अनुष्ठानों का जिक्र है।। जैसे-जैसे हत्याओं का सिलसिला बढ़ता है, एसपी रिया और विक्रम सिंह जांच में जुट जाते हैं। सुराग उन्हें आयस्त समुदाय और उनके रहस्यमय ग्रंथ तक ले जाते हैं।
कितना प्रभाव छोड़ती है सीरीज
‘मंडला मर्डर्स’ का आइडिया तो काफी अच्छा है, लेकिन उतनी मजबूती से इसकी कहानी आगे नहीं बढ़ती। सीरीज का सबसे बड़ा मुद्दा इसका कमजोर प्रस्तुतीकरण है। इसकी कहानी का अंदाज बिखरा हुआ है और गहराई की कमी भी साफ दिखती है। यह एक साथ कई बातें कहने की कोशिश करता है, लेकिन अपनी ही सोच में उलझकर कमजोर हो जाता है। इसमें आने वाले ट्विस्ट का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
‘मंडला मर्डर्स’ सीरीज में वाणी कपूर, वैभव राज गुप्ता, सुरवीन चावला, जमील खान और श्रेया पिलगांवकर जैसे कलाकार है। ‘मंडला मर्डर्स’ में वाणी कपूर एक नए अंदाज में दिखती हैं, लेकिन उनका ट्रैक थोड़ा अधूरा सा लगता है। इमोशनल सीन में बैलेंस है, लेकिन एक्सप्रेशन थोड़ी वीक हैं। सुरवीन चावला ने अपने किरदार को समझदारी और संतुलन के साथ निभाया है। वो ऐसी महिला बनी हैं जो हालात को अपने मुताबिक ढालना जानती है। वहीं वैभव राज गुप्ता ने अपनी भूमिका को ईमानदारी से निभाया है, लेकिन असली चमक श्रेया पिलगांवकर के किरदार से आती है। उनका छोटा लेकिन दमदार रोल कहानी में जान भर देता है।
अगर आपको माइथोलॉजिकल सस्पेंस थ्रिलर पंसद है तो आप इस वीकेंड ‘मंडला मर्डर्स’ को देख सकते हैं।