Shekhar Kapur: फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने अपने करियर की शुरुआत 1983 में शबाना आज़मी और नसीरुद्दीन शाह अभिनीत फिल्म मासूम से की थी। इस फिल्म की शुरुआत धीमी रही, लेकिन बाद में यह एक क्लासिक फिल्म बन गई। फिल्म निर्माता ने पुरानी दिनों को एक बार फिर से याद किया। उस दौर को याद करते हुए उन्होंने बताया कि जब वह यह फिल्म बना रहे थे और इसके पीछे की कैसी-कैसी भावनाएं थी। इसके अलावा, शेखर कपूर ने "मासूम-द नेक्स्ट जेनरेशन" का ऐलान करते हुए, "मासूम" जैसी एक और फिल्म बनाने की इच्छा भी व्यक्त की है।
शेखर कपूर ने इंस्टाग्राम पर ज़मीन पर लेटी हुई एक पुरानी तस्वीर शेयर की है। तस्वीर के साथ उन्होंने एक लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखी है। उन्होंने याद करते हुए कहा, "मासूम का निर्देशन करते हुए वो खूबसूरत और खुशनुमा दिन। उस फिल्म को बनाना वाकई सबके लिए एक खुशी की बात थी। वो खुशी आज भी फिल्म में देखी जा सकती है, हालांकि बहुत समय पहले की बात है।
उन्होंने आगे कहा कि यही कारण है कि आज इतने सालों बाद, मैं कहीं भी मासूम के बारे में बात किए नहीं रह सकता हूं। उनमें से ज़्यादातर तो इतने छोटे हैं कि जब फिल्म रिलीज़ हुई थी तब उनका जन्म भी नहीं हुआ था। उन्होंने इसे टीवी,यूट्यूब,वगैरह पर देखा है।"इसके बाद फिल्म निर्माता ने अपनी कुछ चिंताएं व्यक्त करते हुए नई फिल्म का ऐलान किया।
Those beautiful happy days when I was directing Masoom. Making that film was such a joy. For everyone. And that joy can still be seen in the film, even though it’s so long ago.
Thats why today, all these years later, I cannot go anywhere without people coming to me and… pic.twitter.com/sJJAvzUXPE — Shekhar Kapur (@shekharkapur) October 29, 2025
शेखर कपूर ने कहा कि अब जब मैं मासूम को अगली पीढ़ी के लिए बनाने जा रहा हूं, तो मैं सचमुच फिल्म निर्माण के उस आनंद को फिर से पाना चाहता हूं... लेकिन मुझे चिंता है... मैं अभी मुंबई की एक लंबी यात्रा से लौटा हूं और मेरे सभी फिल्म निर्माता दोस्त फिल्म बनाने को एक 'कार्य' के रूप में देखते हैं... आनंद की चीज़ के रूप में नहीं। ज़्यादातर लोग फंडिंग स्रोतों से 'हस्तक्षेप' की बात करते हैं। मुझे यह वाकई आश्चर्यजनक लगता है।"
उन्होंने आगे कहा, "मासूम मेरी पहली फिल्म थी। मैंने किसी को असिस्ट नहीं किया था, न ही फिल्म निर्माण पर कोई किताब पढ़ी थी... मैं बस एक कहानी कहना चाहता था, और इसे जितना हो सके उतना अच्छा और सरल तरीके से बताना चाहता था... और जितना हो सके ईमानदारी से बताना चाहता था..."
उन्होंने सवाल किया कि क्या यह सच है कि सादगी, आनंद, ईमानदारी और कहानी कहने जैसे शब्द मुंबई की फिल्मों से गायब हो गए हैं? क्या फंडिंग की नई व्यवस्था ने एक ऐसी व्यवस्था बना दी है, जो रचनात्मकता के विरुद्ध है... एक ऐसी व्यवस्था जो एमबीए और मैनेजमेंट वाले लोगों के इंटरफेयर की है...?... उन लोगों द्वारा जो यह भूल जाते हैं कि सच्ची रचनात्मकता इंटरनली आती है। व्यक्तित्व की भावना से... विनम्रता के बड़े अंशों के साथ...आती है।
उन्होंने अपनी पोस्ट के लास्ट में लिखा "अच्छा... मुझे पता चलने वाला है, ना? उम्मीद है कि मासूम - द नेक्स जनेरेशन, उसी खुशी के भाव के साथ बनाई जाएगी जो आप ऊपर की तस्वीर में देख रहे हैं..."
शबाना आज़मी और नसीरुद्दीन शाह के अलावा, मासूम में उर्मिला मातोंडकर और जुगल हंसराज भी बाल कलाकार के रूप में हैं। यह फ़िल्म देवेंद्र कुमार के पारिवारिक जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो तब बिखर जाता है जब उसे पता चलता है कि उसके पिछले प्रेम संबंध से एक नाजायज़ बच्चा है। वह उस छोटे लड़के राहुल को घर ले आता है, लेकिन उसकी पत्नी इंदु उसे स्वीकार नहीं करती। मासूम फ़िलहाल अमेज़न प्राइम वीडियो पर देखने के लिए उपलब्ध है।
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