Tanvi The Great Review: हंसी-ठिठोली, आंसूओं से भरी है तन्वी की कहानी, एक्टिंग के बाद डायरेक्शन में भी अनुपम खेर ने गाढ़े झंडे

Tanvi The Great Movies Review: अनुपम खेर के निर्देशन में बनी पहली फिल्म'तन्वी द ग्रेट' ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। इस फिल्म से शुभांगी दत्ता बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं। फिल्म की कहानी शुभांगी और अनुपम खेर के ईर्द-गिर्द घूमती है। कैसी है फिल्म चलिए आपको बताते हैं।

अपडेटेड Jul 18, 2025 पर 11:28 AM
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फिल्म रिव्यू: तन्वी द ग्रेट

स्टार रेटिंग:3.5/5

डायरेक्टर: अनुपम खेर

कास्ट-शुभांगी दत्ता, अनुपम खेर, जैकी श्रॉफ, अरविंद स्वामी, बोमन ईरानी,पल्लवी जोशी

Tanvi The Great Review: कभी-कभी फिल्में आपको कुछ खास महसूस करा जाती है। कहानी आपके दिल को सीधा छू लेती है। एक्टिंग के बाद अनुपम खेर ने निर्देशन में अपनी किस्मत को आजमाया है। ‘तन्वी: द ग्रेट’ एहसासों से भरी एक शानदार फिल्म हैं। यह न तो बड़े दावों के साथ आती है, न हल्ला करती है। लेकिन जब आप थिएटर से बाहर निकलते हैं तो आप एक संवेदनशील इंसान बनकर बाहर आते हैं।


अनुपम खेर की यह फिल्म किसी चमकर धमक के साथ शुरू नहीं होती है। इसकी शुरुआत बेहद आम-सी परिस्थिति से होती है, जहां एक मां विद्या रैना (पल्लवी जोशी) किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जाती हैं। इस दौरन वह अपनी ऑटिस्टिक बेटी तन्वी (शुभांगी दत्त) को उसके दादा (अनुपम खेर) के पास लैंसडाउन में छोड़कर जाती हैं। बस फिल्म की शुरुआत यहीं से होती है। दोनों का असाधारण रिश्ता बनना शुरू होता है। लैंसडाउन का शांत, ठंडा वातावरण फिल्म की थीम पर बिल्कुल परफेक्ट लगता है। दोनों का रिश्ता कैसे-कैसे मोड़ से गुजरता है फिल्म में यही दिखाया गया है। एक स्पेशल चाइल्ड तन्वी फौज में शामिल होने की ठान लेती है। इस मोड़ से फिल्म आपको हंसाती, रुलाती और कई एहसास कराती है।

अनुपम खेर की ये फिल्म रिश्तों के असल मायनों को बताती है। फिल्म में दादा और पोती के रिश्ते को बेहद सुंदरता के साथ दिखाया गया है। कहानी की शुरुआत में दोनों के बीच दूरियां होती हैं, लेकिन समय के साथ ये दूरियां विश्वास में तब्दील हो जाती हैं। एक अनुशासित, कठोर सैनिक से एक कोमल, समझदार दादा तक के सफर को अनुपम खेर ने हर किसी का दिल जीत लिया है।

बॉलीवुड में अक्सर ऑटिस्टिक किरदारों को काफी बेचारा या काफी महान दिखा दिया जाता है। वहीं 'तन्वी द ग्रेट' ने ऐसे किसी भ्रम को फिल्म में नहीं फिल्माया है। यह फिल्म ऑटिज्म को न तो एक ‘कमी’ बताती है, न ही अच्छा बताती है। यह इसे लोगों के सामने नए नजरिए से पेश करती है, जिसे समझने के लिए समय और स्नेह चाहिए। तन्वी का किरदार बेहद शांत है। लेकिन उसका हर भाव, हर प्रतिक्रिया के पीछे एक कहानी छुपी है। शुभांगी दत्त का अभिनय अभिनय कम, रियल लाइफ वाला अनुभव ज्यादा लगता है।

वहीं ब्रिगेडियर जोशी के किरदार में जैकी श्रॉफ, मेजर श्रीनिवासन की भूमिका में अरविंद स्वामी, संगीत शिक्षक रजा साहब के रोल में बोमन ईरानी ने भी बेहद शानदार काम किया है। सभी ने मिलकर मेन रोल को साइलेंटली गाइड किया है। इनका स्क्रीन टाइम काफी कम है, लेकिन प्रभाव गहरा नजर आएगा। ये ऐसे शिक्षक हैं जो पढ़ाते नहीं, दिशा दिखाते हैं।

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