फिल्म-तेहरान
रेटिंग- 4
डायरेक्टर- अरुण गोपालन
कास्ट - जॉन अब्राहम, नीरू बाजवा, मानुषी छिल्लर, हादी खजानपुर
समय – 118 मिनट
Tehran Movie Review: आज कल जहां हॉरर कॉमेडी, रोमांस से लेकर मसाला फिल्मों का बोलबाला है। इस बीच मैडॉक फिल्म्स ने बेक माई केक फिल्म्स के साथ मिलकर दर्शकों के लिए तेहरान फिल्म को बनाया है। इसमें देश भक्ति के जज्बे को दिखाने वाली फिल्मों में बेहतरीन रोल करने वाले जॉन अब्राहम एक दम अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं। वहीं, फिल्म के हर एक सीन को खूबसूरती से डायरेक्टर अरुण गोपालन ने आकार दिया है, जिसे कोई चाहकर भी मिस नहीं कर सकता।
कहानी
फिल्म की शुरुआत दिल्ली में हुए एक धमाके से होती है, जिससे शहर में खौफ और तबाही का माहौल देखने मिलता है। इस घटना में कई लोग घायल होते हैं और एक फूल बेचने वाली लड़की अपनी जान गंवा देती है। DCP राजीव कुमार (जॉन अब्राहम) उसे पहचानते हैं, और इसी वजह से उन्हें यह हमला सोचने पर मजबूर कर देता है। एक बात साफ है कि यह आतंकवादी हमला राजीव के लिए सिर्फ पेशेवर जिम्मेदारी नहीं बल्कि एक व्यक्तिगत घाव बन जाता है। यही घटना पूरी कहानी की नींव बनती है।
फिल्म के बड़े ट्विस्ट
फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और अगले हिस्से में राजीव सिस्टम और सरकारी दावपेच से बाहर निकल कर मामला अपने हाथ में ले लेता है। इस तरह से एक ऐसे सफर की शुरुआत होती है, जहां इंसानियत को बचाने के लिए वह बहुत से एहम फैसले लेता है। अब सवाल ये उठता है कि राजीव अपने मकसद में कामयाब होगा कि नहीं ? राजीव की मदद आखिर कौन और किस तरह करेगा ? क्या राजीव अपने असली दुश्मन को हरा पाएगा ? अगर आपको इन सभी सवालों के जवाब चाहिए तो इसके लिए आपको यह रोमांच और थ्रिल से भरी फिल्म देखनी होगी।
कलाकारों की दमदार परफॉर्मेंस
जॉन अब्राहम इस फिल्म में अपने स्टाइल और दमदार परफॉर्मेंस से हर सीन में छा जाते हैं। उनके आंखों और हाव‑भाव में केस के लिए गंभीरता और अंदर की भावना साफ नजर आती है। जबकि, मानुषी छिल्लर, SI दिव्या राणा के रोल में, थोड़े स्क्रीन टाइम के बावजूद कहानी में अहम जगह बनाती हैं। नीरू बाजवा शैलजा के किरदार में सख्ती और सेंस ऑफ स्टाइल दोनों दिखाती हैं, जो फिल्म के टोन को सही बनाता है। वहीं, हादी खजानपुर अपने रोल अशरफ खान में डर और टेंशन को आसान तरीके से दिखाते हैं, बिना ज्यादा ड्रामा किए। कुल मिलाकर, इन सभी कलाकारों की एक्टिंग फिल्म में जान डालती है और कहानी को मजबूत बनाती है।
लेखन और एक्शन
लेखक रितेश शाह, आशीष पी. वर्मा और बिंदनी कारिया ने कहानी को ऐसा बनाया है कि हर दृश्य में रोमांच और भावनाएं बराबर महसूस हों। 2012 के हमलों जैसे कठिन मुद्दों को भी आसान तरीके से समझाया गया है। एक्शन सीन छोटे, तेज़ और असली जैसी फीलिंग देते हैं।
विजुअल और साउंड
लेवगेन गुब्रेबको और एंड्री मेनेजेस की कैमरा वर्क फिल्म में जान डालती है। दिल्ली की हलचल भरी गलियों से लेकर अबू धाबी के सुनसान इलाके तक, हर लोकेशन का अहसास काबिलेतारीफ है। केतन सोधा का म्यूजिक इमोशंस को और गहराई देता है, जबकि अक्षरा प्रभाकर की एडिटिंग फिल्म को पूरी तरह मजबूती से जोड़ती है।
एक अलग अनुभव
तेहरान आपको सिर्फ स्क्रीन पर चल रही कहानी नहीं दिखाती, बल्कि हर दृश्य में एक तरह का रियलिटी का एहसास देती है। फिल्म की थ्रिल, किरदारों के जज़्बात और जॉन अब्राहम की मौजूदगी आपको पूरी तरह कहानी में बांध कर रखती है। हर सीन में छोटे‑छोटे ट्विस्ट और भावनाओं का संतुलन इसे देखने लायक बनाता है। मैडॉक फिल्म्स और बेक माई केक फिल्म्स की यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर करती है। यह फिल्म अब ज़ी5 पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध है।
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