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Effects of Agarbatti Smoke: रोजाना अगरबत्ती जलाना उतना ही खतरनाक जितना है धूम्रपान, फेफड़ों को पहुंचाता है गंभीर नुकसान...एक्सपर्टस ने किया चौंकाने वाला खुलासा

Effects of Agarbatti Smoke:अगरबत्ती और धूपबत्ती का रोजाना जलाना फेफड़ों के लिए उतना ही खतरनाक है जितना धूम्रपान, जिससे सांस की बीमारियां और फेफड़ों की क्षमता में कमी हो सकती है। बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को इससे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और हमेशा हवादार जगहों पर इसका उपयोग करना चाहिए।

अपडेटेड Sep 26, 2025 पर 6:56 PM
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भारत में पूजा-पाठ और घर की खुशबू के लिए रोजाना अगरबत्ती जलाना एक आम प्रथा है, लेकिन डॉक्टर्स की चेतावनी के अनुसार यह आदत फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की रिसर्च और दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मित्तल के मुताबिक, अगरबत्ती और धूप के धुएं में ऐसे सूक्ष्म कण (PM 2.5, PM 10) और केमिकल्स होते हैं जो तंबाकू के धुएं जितने या उससे भी अधिक नुकसानदायक होते हैं।

डॉ. मित्तल बताते हैं कि यदि घर में पर्याप्त हवादारी न हो तो ये जहरीले कनेक्टेड पार्टिकल्स फेफड़ों में जम जाते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई, सूजन, एलर्जी और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। खासकर बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग इस धुएं से ज्यादा प्रभावित होते हैं। एक रिसर्च में पाया गया कि ऐसे घरों के बच्चों के फेफड़ों की क्षमता काफी कम हो जाती है, जिससे उनकी सेहत पर दीर्घकालिक बुरा असर पड़ता है।

अध्ययनों के अनुसार, अगरबत्ती के धुएं में निकोटीन समेत कई हानिकारक तत्व पाए जाते हैं, जो धीमे-धीमे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकते हैं, खासकर उन लोगों में जो पहले से कोई फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे हों। डॉ. सोनिया गोयल, पल्मोनोलॉजिस्ट, कहती हैं कि एक अगरबत्ती जलाने से जितना प्रदूषण निकलता है उतना ही एक सिगरेट के धुएं से भी होता है। इसलिए लगातार अगरबत्ती जलाना फेफड़ों के लिए धीरे-धीरे विष की तरह काम करता है।


स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगरबत्ती और धूप जलाने के दौरान हमेशा घर में अच्छी वेंटिलेशन होनी चाहिए, ताकि जहरीला धुंआ एक जगह न जमा होकर बाहर निकल सके। इस जोखिम को कम करने के लिए इनका इस्तेमाल सोच-समझकर, सीमित मात्रा में और खुली जगह या हवादार स्थानों पर ही करना चाहिए।

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