Intermittent Fasting: जरूरी नहीं आपके लिए भी सही हो वजन कंट्रोल करने का ये तरीका, जानें इंटरमिटेंट फास्टिंग पर क्या है इस डॉक्टर की राय

Intermittent Fasting: वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन हाल के दिनों में काफी पॉपुलर हुआ है। लेकिन, जरूरी नहीं कि वजन घटाने का ये तरीका हर किसी के लिए कारगर हो। इस संबंध में हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड से प्रशिक्षित डॉक्टर सौरभ सेठी ने कई अहम जानकारियां साझा की हैं। आइए जानें

अपडेटेड Dec 06, 2025 पर 5:19 PM
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डॉ सेठी ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग मूड और डिप्रेशन को बेहतर कर सकता है।

Intermittent Fasting: वजन पर कंट्रोल के लिए आजकल काफी लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) का सहारा लेने लगे हैं। ये चलन हाल के दिनों में काफी पॉपुलर हुआ है। कई वेटलॉस ट्रेनर भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इसे वजन घटाने के अचूक तरीके के तौर पर बताते हैं। ये तरीका निश्चित रूप से काफी कारगर है, लेकिन ये हर किसी के लिए ठीक नहीं होता है। हाल ही में हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड ट्रेंड गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और मिथकों पर बात की है। डॉ सेठी अक्सर सेहत से जुड़े मामलों पर अपने वीडियो पोस्ट करते रहते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में उन्होंने कहा कि ये तरीका मेटाबॉलिज्म को धीमा किए बिना वजन कम कर सकता है। लेकिन ये हर किसी के लिए ठीक नहीं होता है। आइए जानें उन्होंने अपने वीडियो में इसके बारे में और क्या कहा है?

कई मामलों में फायदेमंद है आईएफ

डॉ. सेठी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर वीडियो में कहा है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग वेट लॉस में मदद कर सकता है और यही उसका सबसे बड़ा फायदा है। आईएफ बिना मेटाबॉलिज्म को धीमा किए वजन कम करता है। साथ ही यह फैटी लिवर और इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। 'इंटरमिटेंट फास्टिंग ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को सुधारने में भी मदद कर सकती है। सूजन कम करने, पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) में मदद करने जैसे फायदे भी इसके देखे गए हैं।

मानसिक स्वास्थ के लिए भी अच्छा

डॉ सेठी ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग मूड और डिप्रेशन को बेहतर कर सकता है। हालांकि, अभी यह पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है। अल्जाइमर डिजीज के जोखिम को कम करने में भी इसके कुछ सबूत मिले हैं लेकिन ठोस प्रमाण नहीं हैं।

हर किसी के नहीं है इंटरमिटेंट फास्टिंग


डॉ. सेठी के मुताबिक, आईएफ मांसपेशियों में कमी का कारण बन सकती है। इसलिए बिना प्रोटीन की सही मात्रा के बिना इसका पालन करना खतरनाक हो सकता है। फास्टिंग के दिनों में एथलेटिक परफॉर्मेंस में कमी हो सकती है इसलिए रोजाना एक्सरसाइज करने वाले लोगों को इसका खास ध्यान रखना चाहिए। महिलाओं के लिए भी लंबी फास्टिंग विंडो सही नहीं मानी गई है।

हो सकते हैं कुछ साइड इफेक्ट्स

हॉर्वर्ड में हुए अध्ययन में भी इंटरमिटेंट फास्टिंग के ढेरों फायदे बताए हैं। यह न केवल शरीर की कोशिकाओं को सुधारती है बल्कि तनाव को भी कम करती है। इससे कैंसर और दिल की बीमारियों का जोखिम भी कम किया जा सकता है। आईएफ इंसुलिन के स्तर को कम करता है जिससे टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को घटा या जा सकता है। यहां हुए अध्ययनों में कहा गया है कि वजन कम करने का यह तरीका ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लडप्रेशर में भी सुधार करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कंट्रोल, मेटाबोलिज्म सुधार, हार्ट हेल्थ में सुधार कर सकता है। हालांकि, यह हर किसी के लिए नहीं है और इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसे बिना प्लानिंग के और बिना किसी सर्टिफाइड कोच के किया जाए तो यह गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

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