सिंघाड़ा एक बेहद पौष्टिक और स्वादिष्ट फल है जो पानी में उगने वाले पौधों से प्राप्त होता है। ये खासतौर पर भारत, चीन और फिलीपींस जैसे देशों में बड़ी मात्रा में पाया जाता है। अंग्रेजी में इसे Water Chestnut कहा जाता है, लेकिन ये वास्तव में नट यानी सूखा मेवा नहीं होता, बल्कि एक जलीय फल है जो कीचड़ भरी खेतों में उगता है। सिंघाड़ा दिखने में भले साधारण लगे, लेकिन इसके अंदर पोषक तत्वों का खजाना छिपा होता है। इसमें विटामिन A, विटामिन C, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और मैंगनीज जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को मजबूत बनाने के साथ कई बीमारियों से बचाते हैं।
सिंघाड़ा में कैलोरी बहुत कम होती है और इसमें फैट न के बराबर होता है, इसलिए ये वजन कम करने वालों के लिए भी बेहतरीन विकल्प है। यही कारण है कि ये फल स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वाद का भी बेहतरीन मेल माना जाता है।
सिंघाड़ा में विटामिन A, विटामिन C, मैंगनीज, फॉस्फोरस, आयोडीन, मैग्नीशियम और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का खतरा कम करते हैं। पानी में उगने के कारण इसमें पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जो हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक जैसी समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
वजन कम करने वालों के लिए सिंघाड़ा एक बेहतरीन विकल्प है। आधे कप सिंघाड़े में लगभग 45 कैलोरी होती है और इसमें बिल्कुल भी फैट नहीं पाया जाता। साथ ही इसमें लगभग 10 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 3 ग्राम डाइट्री फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पेट को लंबे समय तक भरा रखता है। यही कारण है कि वजन घटाने की डाइट में एक्सपर्ट सिंघाड़े को शामिल करने की सलाह देते हैं।
सिंघाड़े में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में बनने वाले हानिकारक फ्री रेडिकल्स को रोकते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम को नुकसान नहीं पहुंचता। इन फ्री रेडिकल्स के कारण शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, जिससे हृदय रोग, डायबिटीज और अन्य क्रोनिक बीमारियों का खतरा रहता है। सिंघाड़े में पाए जाने वाले फेरुलिक एसिड, गैलोकेटिनसिन गैलेट, इपीकैटेचिन गैलेट और कैटेचिन गैलेट जैसे तत्व ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं और शरीर को संक्रमणों से सुरक्षित रखते हैं।
सिंघाड़े में पाया जाने वाला पोटैशियम हृदय की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। ये ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है और हार्ट डिजीज के खतरे को कम करता है। साथ ही इसमें मौजूद सोडियम और अन्य पोषक तत्व एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और ट्राईग्लिसराइड्स के स्तर को बढ़ने नहीं देते। अध्ययनों में भी पाया गया है कि पोटैशियम से भरपूर आहार लेने से हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा काफी हद तक घटता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।