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World Heart Day: जवान दिलों से धड़कन छीन रहे हैं ये कारण, सही लाइफस्टाइल अपनाएं और एक भी धड़कन न चूकें

World Heart Day 2025: इस साल विश्व हृदय दिवस की थीम, ‘एक भी धड़कन न चूकें’ है। दिल की बामारी के बारे में बात करना तब और भी जरूरी हो जाता है, जब हाल के दिनों में हमने कई युवाओं को बिना किसी चेतावनी के इस बीमारी की भेंट चढ़ते देखा है। इसलिए जागरूकता बढ़ाने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं।

अपडेटेड Sep 29, 2025 पर 11:25 AM
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आज ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ है और इस साल की थीम है, ‘डोंट मिस द बीट’ मतलब अपने दिल का ख्याल रखिए।

World Heart Day: उम्र बढ़ने पर जब भी बात होती है, तो एक जुमला अक्सर सुनने में आता है, ‘उम्र का क्या है, दिल जवान रहना चाहिए।’ लेकिन दिल का सच में जवान है? इस समय जिस तरह बहुत कम उम्र में हार्ट अटैक से लोगों की जान जाने की घटनाएं देखने को मिल रही हैं, उसने दिल के जवान रहने पर सवालिया निशान लगा दिया है। हाल के दिनों में दिल की बीमारी से छोटे बच्चों की मौतों ने पेरेंट्स को ही नहीं विशेषज्ञों को भी हिला कर रख दिया है। आज ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ है और इस साल की थीम है, ‘डोंट मिस द बीट।’ इसका मतलब है, अपने दिल का ख्याल रखिए। इस मौके पर चलिए विशेषज्ञों से समझते हैं कि कम उम्र में हार्ट अटैक के लिए कौन से कारण जिम्मेदार हैं उनसे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

क्यों जरूरी है इस पर बात करना?

हाल ही में तमिलनाडु में एक दुखद घटना सामने आई। एक अस्पताल में वार्ड राउंड के दौरान एक 39 वर्षीय स्वस्थ दिखने वाले हार्ट सर्जन अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। ये चिंताजनक है, क्योंकि उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता मिली और उन्हें सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया गया। एंजियोप्लास्टी और ईसीएमओ सहित एडवांस तकनीका का इस्तेमाल कर उनका इलाज किया गया, लेकिन उनकी बाईं मुख्य कोरोनरी धमनी में एक बड़े अवरोध के कारण दिल की मांसपेशियों को अपरिवर्तनीय नुकसान हुआ, जिसके कारण उन्हें भारी दिल का दौरा पड़ा और वो बच न सके।

धड़कन छीनने के लिए जिम्मेदार हैं ये कारण

युवाओं में दिल की बीमारी के तेजी से बढ़ने के लिए बदलती लाइफस्टाइल जिम्मेदार है। मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और इंसुलिन रेजिस्टेंट के मामलों में होती तेजी से बढ़ोतरी की वजह से अक्सर बुढ़ापे में होने वाली बीमारियां पहले से ही शुरू हो रही हैं।

तनाव बड़ों से लेकर बच्चों तक को अपनी गिरफ्त ले रहा है। घड़ी की सुई से भी तेज भागती जिंदगी में बच्चों को भी नहीं छोड़ा है। ऑफिस, घर, स्कूल एक्टिविटी, ट्रेफिक सब मिलकर इंसान की जिंदगी पर हल्लाबोल रहे हैं। तनाव की वजह से हाई ब्लड प्रेशर इससे जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।


भागदौड़ बहुत ज्यादा, सही खानपान का समय इसने छीन लिया है। लोग भागते-भागते सबकुछ करने के आदी हो रहे हैं और यही आदत बच्चों को भी दे रहे हैं। घर में बने खाने की जगह ऑनलाइन डिलिवरी पर आने वाली चीजें लेती जा रही हैं। हाई रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, अधिक शक्कर वाले और प्रसंस्कृत उत्पाद के प्रति झुकाव बढ़ना और युवाओं में धूम्रपान, वेपिंग और शराब आदि के चलन का जोर पकड़ना भी बहुत नुकसान पहुंचा रहा है।

कोविड के बाद का समय ऐसा है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वायरस से ठीक होने वाले कई मरीज रेसिडूअल इंफ्लेमेशन, माइक्रोवेस्कुलर डैमेज या जमावट संबंधी विकार दिल से जुड़ी समस्याओं को तेजी से बढ़ाते हैं।

लक्षणों की अनदेखी ठीक नहीं

बीमारी को बढ़ने की वजह हम खुद दे रहे हैं। अपने लक्षणों की अनदेखी इसका सबसे बड़ा कारण है। विशेषज्ञों का कहना है कि थकान, सांस लेने में हल्की तकलीफ या सीने में तकलीफ जैसे छोटे लक्षणों को हम अनदेखा कर देते हैं और उन्हें तनाव या थकावट का कारण बताते हैं। इससे कई बार बात हाथ से निकल जाती है।

समय से पहले करना शुरू करें रेगुलर चेकअप

दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में तनाव रोज के जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। इसलिए दिल की सेहत की निगरानी के लिए 40 साल से उम्र से पहले ही रेगुलर चेकअप शुरू कराना शुरू कर देना चाहिए। खासकर ब्लड प्रेशर, लिपिड प्रोफाइल, फास्टिंग ग्लूकोज और यहां तक कि रिस्क स्कोर का समय-समय पर मूल्यांकन युवाओं को हार्ट डिजीज से बचा सकता है।

इन्हें अपनाएं

रोजाना कम से कम 30 मिनट के लिए व्यायाम जैसी कोई शारीरिक गतिविधि जरूर करें। फल, सब्जियों, सलाद और घर में बने खाने पर ध्यान दें। तंबाकू और शराब से दूर रहें और तनाव को मैनेज करें। ऑफिस से जुड़े तनाव को कम करने के लिए अपने स्तर पर कुछ कदम जरूर उठाएं, जिसमें छुट्टी के दिन घर पर ऑफिस खोलना बंद करें और परिवार के साथ अच्छा समय बिताने को अहमियत दें।

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