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Air India Crash: पायलट के पिता ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग

यह बात विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट के बाद सामने आई है, जिसमें कहा गया था कि मानवीय भूल के कारण यह हादसा हुआ। याचिका में कहा गया है कि जांच का वर्तमान तरीका इस हादसे के पीछे के दूसरे संभावित तकनीकी और प्रक्रिया से जुड़े कारणों की ठीक से जांच या उन्हें खारिज करने में नाकाम रहा है

अपडेटेड Oct 16, 2025 पर 6:31 PM
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Air India Crash: पायलट के पिता ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग

अहमदाबाद में AI-171 विमान दुर्घटना में 260 लोगों की मौत के चार महीने बाद, जहाज के पायलट दिवंगत कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता ने दुर्घटना की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में 88 साल के पुष्करराज सभरवाल पहले याचिकाकर्ता हैं, जबकि फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स दूसरे याचिकाकर्ता हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि दुर्घटना की शुरुआती जांच "बेहद दोषपूर्ण" है। उनका कहना है कि जांच दल खासतौर से दोनों दिवंगत पायलट पर ही फोकस कर रहा है, जो अब अपना बचाव भी नहीं कर सकते हैं।

यह बात विमान दुर्घटना जांच बोर्ड (AAIB) की शुरुआती रिपोर्ट के बाद सामने आई है, जिसमें कहा गया था कि मानवीय भूल के कारण यह हादसा हुआ। याचिका में कहा गया है कि जांच का वर्तमान तरीका इस हादसे के पीछे के दूसरे संभावित तकनीकी और प्रक्रिया से जुड़े कारणों की ठीक से जांच या उन्हें खारिज करने में नाकाम रहा है।

याचिका में कहा गया है कि तथ्यात्मक जानकारी को चुनिंदा रूप से उजागर करने की गलत दिशा, खासकर उन क्रू सदस्यों के खिलाफ जो अपनी सफाई नहीं दे सकते, असली कारणों की जांच में बाधा डालती है और भविष्य की उड़ानों की सुरक्षा को खतरा पहुंचाती है। इसलिए, इसमें निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की गई है।


याचिका में कहा गया है कि पांच सदस्यों वाली जांच समिति जिस तरह से बनाई गई है, वो प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांत का उल्लंघन करती है, जिसमें कहा गया है कि कोई व्यक्ति अपने ही मामले में जज नहीं हो सकता।

इसमें कहा गया, "टीम में ज्यादातर अधिकारी DGCA और राज्य विमानन प्राधिकरणों से हैं। ये वही संस्थाएं हैं, जिनकी कार्यप्रणालियां, निगरानी और संभावित लापरवाहियां जांच के दायरे में हैं। इसके अलावा, ये अधिकारी AAIB के महानिदेशक के अधीन काम करते हैं, जिससे ऐसी स्थिति बनती है, जहां नागरिक उड्डयन की निगरानी करने वाले ही अब खुद अपनी जांच कर रहे हैं।"

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