सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 सितंबर) को केंद्र और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को स्वतंत्र, निष्पक्ष और जल्द जांच की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किए। शीर्ष अदालत ने लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। यह विमान 12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद बाद क्रैश हो गया था।
जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने यह माना कि दुर्घटना पर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच बेहद जरूरी है। कोर्ट ने AAIB की शुरुआती रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर विचार किया, जिसमें फ्यूल स्विच बंद होने के लिए पायलटों की लापरवाही की ओर इशारा किया गया था। हालांकि, जज ने ऐसे दावों को 'गैर-जिम्मेदाराना' बताया।
यह याचिका "सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन" नाम के एक एविएशन सेफ्टी NGO की तरफ से दायर की गई थी, जिसका नेतृत्व कैप्टन अमित सिंह (FRAeS) कर रहे हैं। याचिका में उस शुरुआती रिपोर्ट पर भी सवाल उठाया गया, जिसमें पालयल की गलती की बात कही गई थी। इसमें कहा गया कि 'फ्यूल स्विच' पर रिपोर्ट में एक बातचीत के कारण ऐसी अटकलें लगाईं जा रही हैं कि पायलट न जान बूझकर ऐसा किया।
जनहित याचिका में फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जानकारी का भी खुलासा करने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने जांच समिति में DGCA अधिकारी की मौजूदगी पर सवाल उठाया और इसे हितों का टकराव बताया। जनहित याचिका में कहा गया है कि DGCA की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
जनहित याचिका में जांच की निष्पक्षता की निगरानी के लिए एक जज को नियुक्ति करने की भी मांग की गई है।
12 जून को अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही एयर इंडिया की बोइंग 787-8 फ्लाइट AI171 उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद ही एक मेडिकल हॉस्टल परिसर से टकरा गई। इस हादसे में कम से कम 270 लोगों की मौत हुई, जिसमें 241 यात्री और क्रू शामिल थे। इस दुर्घटना में केवल एक व्यक्ति बचा, जिनका नाम विश्वासकुमार रमेश था और वे ब्रिटिश नागरिक हैं।