SIR पर संसद में आर-पार, अमित शाह और राहुल गांधी में तीखी बहस...गृह मंत्री ने कहा - 'नेहरू का पीएम बनना पहली वोट चोरी'

Amit Shah : अमित शाह ने साफ कहा कि SIR की प्रक्रिया का संचालन चुनाव आयोग (ECI) करता है, जो एक संवैधानिक संस्था है और केंद्र सरकार के निर्देशों पर नहीं चलती। उन्होंने यह भी दोहराया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता की तीनों प्रेस कॉन्फ्रेंस का जवाब दूंगा

अपडेटेड Dec 10, 2025 पर 6:06 PM
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अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में भाषण देते हुए विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे देश को भ्रमित कर रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में भाषण देते हुए विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे देश को भ्रमित कर रहे हैं। उनका कहना था कि कई राज्यों में चल रहे वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर विपक्ष गलत जानकारी फैला रहा है। वहीं अमित शाह के संबोधन के दौरान लोकसभा में भारी हंगामा देखने को मिला। विपक्ष के नेता राहुल गांधी और अमित शाह के बीच तीखी नोकझोक भी देखने को मिला।

सदन में अमित शाह और राहुल गंधी के बीच बहस

अमित शाह ने साफ कहा कि SIR की प्रक्रिया का संचालन चुनाव आयोग (ECI) करता है, जो एक संवैधानिक संस्था है और केंद्र सरकार के निर्देशों पर नहीं चलती। उन्होंने यह भी दोहराया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता की तीनों प्रेस कॉन्फ्रेंस का जवाब दूंगा। एक सादी वाली, एक एटम बम वाली और एक हाइड्रोजन बम वाली। जब राहुल गांधी ने उन्हें बीच में टोका तो इस पर अमित शाह ने कहा कि 30 साल से संसद या विधानसभा में चुनकर आ रहा हूं। मेरे बोलने का क्रम मैं तय करूंगा, आप नहीं। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि ये डरा हुआ, घबराया हुआ रेस्पॉन्स है। अमित शाह ने कहा कि मैं उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ देख रहा हूं कि क्या बोलूंगा। उनके उकसावे में नहीं आऊंगा, अपने क्रम से बोलूंगा।


अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि विपक्ष जिस “वोट चोरी” की बात कर रहा है, उसके उदाहरण कांग्रेस के इतिहास में खुद मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि आज़ादी के बाद जब प्रधानमंत्री चुना जाना था, तब कांग्रेस के 30 प्रदेश अध्यक्षों में से 28 ने सरदार पटेल के पक्ष में वोट दिया था, जबकि सिर्फ़ दो ने जवाहरलाल नेहरू का नाम समर्थन किया। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नेहरू बने। शाह ने इसे पहला उदाहरण बताया।

उन्होंने दूसरा उदाहरण देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से चुनाव जीतीं, लेकिन राजनारायण ने उनकी जीत को कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने फैसला दिया कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल किया। इसे बचाने के लिए संसद में ऐसा कानून लाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री के खिलाफ केस न चलने का प्रावधान कर दिया गया। शाह ने कहा, “विपक्षी नेता चुनाव आयोग की इम्युनिटी पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन इंदिरा गांधी ने जो इम्युनिटी खुद के लिए ली थी, उसका जवाब कौन देगा?”

वोट चोरी पर अमित शाह ने दिया ये जवाब 

अमित शाह ने कहा, “सत्र की शुरुआत में विपक्ष ने काफी हंगामा किया, जिससे आम लोगों में यह गलत धारणा बनी कि सरकार चुनाव सुधारों पर चर्चा से बच रही है। जबकि सच यह है कि हम कभी किसी चर्चा से पीछे नहीं हटते, क्योंकि संसद देश की सबसे बड़ी ‘पंचायत’ है। विपक्ष SIR की विस्तृत समीक्षा की मांग कर रहा है, जो संभव नहीं है, क्योंकि यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। चुनाव कराना हमारा काम नहीं है।” अमित शाह ने आगे कहा कि चर्चा का विषय चुनाव सुधार था, लेकिन विपक्ष ने केवल SIR प्रक्रिया को मुद्दा बनाया। उनका आरोप था कि विपक्षी दल पिछले चार महीनों से SIR को लेकर झूठ फैला रहे हैं और जनता को भ्रमित कर रहे हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पहला स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) वर्ष 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान भी कई बार SIR किया गया, जिसमें नेहरू और इंदिरा गांधी के शासनकाल के उदाहरण शामिल हैं। अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी के तहत ही SIR प्रक्रिया को अंजाम दे रहा है।

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