Axiom-4 Mission Shubhanshu Shukla: भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और नया अध्याय जुड़ गया है। बुधवार को शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरकर देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बनने का गौरव हासिल किया। इससे पहले साल 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के साथ मिशन में हिस्सा लिया था। लेकिन शुक्ला का मिशन कई मायनों में अलग है क्योंकि यह एक प्राइवेट मिशन है, जो NASA, Axiom Space और ISRO के सहयोग से चलाया जा रहा है। क्या आपको पता है कि शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए कोई सैलरी मिलेगी या नहीं?
कितनी मिलेगी शुभांशु शुक्ला को सैलरी?
अब सवाल यह उठता है कि क्या शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए सैलरी मिलेगी? इसका जवाब है, नहीं। उन्हें इस 14 दिन के अंतरिक्ष मिशन के लिए कोई वेतन नहीं मिलेगा। दरअसल, Axiom-4 एक प्राइवेट स्पेस मिशन है जिसे अमेरिका की कंपनी Axiom Space ने NASA के साथ मिलकर शुरू किया है। भारत की ओर से ISRO और केंद्र सरकार ने इस मिशन की पूरी कॉस्ट वहन की है।
548 करोड़ रुपये का खर्च सरकार ने उठाया
भारत सरकार ने इस मिशन पर लगभग 548 करोड़ (लगभग 65 मिलियन डॉलर) खर्च किए हैं। इसमें शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा, ट्रेनिंग, लॉन्च की तैयारी, अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने और रिसर्च से जुड़ी तमाम व्यवस्थाएं शामिल हैं।
हालांकि शुक्ला को सैलरी नहीं मिलेगी, लेकिन यह मिशन उनके करियर और भारत के स्पेस प्रोग्राम के लिए बेहद अहम है। उन्हें अंतरिक्ष में काम करने का पहला अनुभव मिलेगा, जिससे आने वाले समय में भारत का गगनयान मिशन और मजबूत होगा। गगनयान 2027 में भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा।
क्यों खास है Axiom-4 मिशन?
शुभांशु ISS पर 14 दिन बिताएंगे। इस दौरान वे स्पेस न्यूट्रिशन, फूड सस्टेनेबिलिटी और बीजों की ग्रेविटी फ्री कंडीशन में बढ़ोतरी पर प्रयोग करेंगे। ये रिसर्च भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के भोजन और पृथ्वी पर कृषि तकनीक के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग बुधवार को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित NASA के Kennedy Space Centre से हुई। यह मिशन SpaceX के Falcon 9 रॉकेट और नए ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए किया गया है। NASA के मुताबिक यह मिशन 26 जून को भारतीय समय अनुसार दोपहर 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ेगा। शुभांशु शुक्ला की ये उड़ान सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक मजबूत नींव है। भले ही उन्हें कोई वेतन नहीं मिलेगा, लेकिन उन्हें जो अनुभव मिलेगा, वह भारत को अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेगा।