'2 Km दूर थी उग्र भीड़, 1:30 बजे आया भारत से फोन और बच गई शेख हसीना की जान' बांग्लादेश हिंसा को लेकर नई किताब में बड़ा खुलासा!

यह सनसनीखेज खुलासा आने वाली एक किताब ‘Inshallah Bangladesh: The Story of an Unfinished Revolution' में हुआ है, जिसे दीप हलदर, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकन ने लिखा है और जगरनॉट ने इसे पब्लिश किया। इधर भारतीय विमानन अधिकारियों ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को लाने वाले किसी भी विमान को भारतीय एयर स्पेस में घुसने की अनुमति पहले ही दे दी थी

अपडेटेड Nov 07, 2025 पर 12:55 PM
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Bangladesh Violence: 1:30 बजे आया भारत से फोन और बच गई शेख हसीना की जान

बांग्लादेश हुए जन आक्रोश के दौरान भारत से आए फोन कॉल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान बचा ली और ढाका के गणभवन में भीड़ के घुसने से 20 मिनट पहले ही वह बच निकली थीं। अगर उन्हें भारत से एक फोन न आया होता, तो हसीना को वहीं रुककर उस उग्र भीड़ का सामना करना पड़ सकता था। इस कॉल के बाद वह दोपहर में एक कार्गो फ्लाइट के लिए हेलीकॉप्टर में सवार हुईं, और सीधे भारत आ गईं, जहां वह इस समय निर्वासन में हैं। अगर हसीना को 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1.30 बजे वो फोन नहीं आता, तो उनके पिता की तरह उनकी भी हत्या हो सकती थी, और तब तक वहां से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर ही भारी भीड़ जमा हो गई होती।

यह सनसनीखेज खुलासा आने वाली एक किताब ‘Inshallah Bangladesh: The Story of an Unfinished Revolution' में हुआ है, जिसे दीप हलदर, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकन ने लिखा है और जगरनॉट ने इसे पब्लिश किया।

इधर भारतीय विमानन अधिकारियों ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को लाने वाले किसी भी विमान को भारतीय एयर स्पेस में घुसने की अनुमति पहले ही दे दी थी, किताब का दावा है कि 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1.30 बजे तक भी, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान, वायु सेना और नौसेना प्रमुखों के साथ, “अड़ियल” हसीना को मनाने में विफल रहे, अधिकारियों ने “उनकी बहन” शेख रेहाना के जरिए भी उन्हें मनाने की कोशिश की।


यहां तक ​​कि हसीना के बेटे सजीब वाजिद, जो अमेरिका में रहते हैं, उनको भी फोन किया गया, जिन्होंने हसीना से “भारत के लिए उड़ान भरने” के लिए बात की, जबकि उन्मादी भीड़ गणभवन की ओर बढ़ रही थी। लेकिन हसीना ने कहा कि वह “अपने देश से भागने के बजाय मरना पसंद करेंगी”।

लेकिन अचानक ही पूरी स्थिति में कुछ बदलाव हुआ...

एक मिनट बाद, किसी ऐसे व्यक्ति का फोन आया जिसका नाम किताब में नहीं बताया गया है, लेकिन उसे "भारत का एक शीर्ष अधिकारी बताया गया है, जिसे शेख हसीना अच्छी तरह जानती थीं।"

बातचीत किस बारे में हुई? किताब में बातचीत की डिटेल में बताया गया, "यह एक छोटी सी बातचीत थी। अधिकारी ने शेख हसीना से कहा कि अब बहुत देर हो चुकी है, और अगर वह तुरंत गोनोभाबन नहीं छोड़तीं, तो उन्हें मार दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें एक और दिन लड़ने के लिए जिदा रहना होगा।"

हसीना इस कड़े संदेश से स्तब्ध रह गईं। उन्हें इसके लिए मन बनाने में भी आधा घंटा और लग गया। फिर हसीना ने जाने से पहले एक भाषण रिकॉर्ड करने का अनुरोध किया, जिसे तीनों सेनाओं प्रमुखों ने नामंजूर कर दिया, क्योंकि भीड़ गणभवन में घुसने ही वाली थी।

शेख रेहाना, जो हसीना को मनाने की कोशिश कर रही थीं, उन्हें एक SUV में बिठाकर हेलीपैड तक ले गईं। कपड़ों से भरे सिर्फ दो सूटकेस ही उनके साथ दिल्ली पहुंचे। दोपहर 2.23 बजे हेलीकॉप्टर गणभवन से उड़ा और 2.35 बजे तेजगांव एयरबेस पर उतरा।

किताब में लिखा है, "विमान ने दोपहर 2.42 बजे तेजगांव से बादलों से घिरे आसमान में उड़ान भरी, बादलों को चीरते हुए लगभग बीस मिनट बाद पश्चिम बंगाल के मालदा के ऊपर भारतीय एयरस्पेस में प्रवेश किया। उड़ान के समय हल्की बारिश भी हुई।"

इसके अगले ही दिन सुबह 4 बजे, जो हसीना के लिए एक नया दिन था, C170J हिंडन एयरबेस पर उतरा, जहां उनका स्वागत भारत के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने किया और उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें दिल्ली में एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया।

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