Cyber fraud: बेंगलुरु से चल रहा था अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी रैकेट, 150 अमेरिकियों से 13.5 करोड़ की लूट

Bengaluru cyber fraud: बेंगलुरु के तकनीकी कर्मचारियों द्वारा अमेरिकी नागरिकों को ठगे जाने के मामले में अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध गिरोह ने बड़ा खुलासा किया है। अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने अगस्त से अब तक कम से कम 150 पीड़ितों को निशाना बनाया और उनसे औसतन 10,000 डॉलर की ठगी की।

अपडेटेड Dec 11, 2025 पर 12:26 PM
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बेंगलुरु से चल रहा था अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी रैकेट, 150 अमेरिकियों से 13.5 करोड़ की लूट

Bengaluru cyber fraud: बेंगलुरु के तकनीकी कर्मचारियों द्वारा अमेरिकी नागरिकों को ठगे जाने के मामले में अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध गिरोह ने बड़ा खुलासा किया है। अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने अगस्त से अब तक कम से कम 150 पीड़ितों को निशाना बनाया और उनसे औसतन 10,000 डॉलर (कुल 13.5 करोड़ रुपये) की ठगी की।

पिछले महीने पुलिस ने व्हाइटफील्ड स्थित Musk Communications पर छापा मारा था और 21 लोगों को गिरफ्तार किया था। यह गिरोह खुद को Microsoft के टेक्निकल सपोर्ट स्टाफ बताकर बात करता था और फर्जी 'Federal Trade Commission (FTC)' उल्लंघन बताकर पीड़ितों से पैसे वसूलता था। इसके अलावा, पुलिस ने अहमदाबाद से रवि चौहान नाम के एक व्यक्ति को भी पकड़ा है, जिसने बेंगलुरु में लगभग 85 कर्मचारियों की भर्ती करवाई थी।

एक वरिष्ठ IPS अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने पीड़ितों से बिटकॉइन ATM में पैसे जमा करवाए। (बिटकॉइन एटीएम बिटकॉइन नेटवर्क से जुड़े कियोस्क होते हैं, जिनसे क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन किया जा सकता है।)


उन्होंने बताया कि, "हम पीड़ित ग्राहकों के बैंक डिटेल्स जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और इस दौरान अब तक हमें पता चला है कि अमेरिका और ब्रिटेन के कम से कम 150 पीड़ितों से अलग-अलग बिटकॉइन एटीएम में लगभग 10,000 डॉलर जमा करवाए गए थे।"

इसी बीच, पुलिस ने मस्क कम्युनिकेशन में कर्मचारियों की भर्ती करने के आरोप में अहमदाबाद के रवि चौहान नामक एक युवक को गिरफ्तार किया है। जिसके बाद गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है।

एक जांच अधिकारी ने बताया, "गैंग के तीन मास्टरमाइंड की अभी भी तलाश जारी है। वे 2022 से ब्रिटेन और अमेरिका में पीड़ितों को निशाना बना रहे हैं।"

एक विश्वसनीय सूचना के आधार पर, साइबर कमांड की विशेष यूनिट और साइबर अपराध पुलिस स्टेशन, व्हाइटफील्ड डिवीजन के जांचकर्ताओं ने 14 और 15 नवंबर को व्हाइटफील्ड मेन रोड स्थित सिग्मा सॉफ्ट टेक पार्क में डेल्टा बिल्डिंग की छठी मंजिल पर स्थित मस्क कम्युनिकेशंस के कार्यालय पर छापा मारा। तलाशी वारंट के साथ चलाए गए इस दो दिवसीय अभियान में कंप्यूटर, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मोबाइल फोन और अन्य डिवाइस जब्त किए गए। कार्यालय में मौजूद सभी 21 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया।

जांच में पता चला कि मस्क कम्युनिकेशंस ने इस साल अगस्त में 4,500 वर्ग फुट का एक विशाल कार्यालय 5 लाख रुपये प्रति माह के किराए पर लिया था। आरोप है कि गिरोह ने विशेष रूप से अमेरिकी यूजर्स को निशाना बनाकर फेसबुक पर फर्जी और खतरनाक विज्ञापन चलाए। इन विज्ञापनों में वैध सुरक्षा अलर्ट या सेवा लिंक के रूप में छिपा हुआ कोड था। पुलिस ने बताया, "जैसे ही कोई यूजर्स विज्ञापन पर क्लिक करता था, कोड कंप्यूटर को फ्रीज कर देता था और एक पॉप-अप खोलता था जो माइक्रोसॉफ्ट के ग्लोबल तकनीकी सहायता से होने का दावा करता था और एक फर्जी हेल्पलाइन नंबर दिखाता था।"

जब पीड़ितों ने उस नंबर पर कॉल किया, तो माइक्रोसॉफ्ट टेक्नीशियन बनकर धोखाधड़ी करने वालों ने दावा किया कि यूजर्स का कंप्यूटर हैक हो गया है, IP एड्रेस से छेड़छाड़ की गई है और बैंकिंग डेटा गंभीर खतरे में है। उन्होंने मनगढ़ंत 'FTC उल्लंघन' का हवाला देकर पीड़ितों को और भी डराया। इस बहाने, उन्होंने यूजर्स को फर्जी सुरक्षा समाधानों या अनुपालन प्रक्रियाओं के लिए बड़ी रकम चुकाने के लिए मजबूर किया।

पुलिस ने बताया कि कंपनी में कुल 83 कर्मचारी थे, जिनमें से लगभग 21 तकनीकी कर्मचारी इस घोटाले से वाकिफ थे। उन्हें 15,000 रुपये से 25,000 रुपये प्रति माह का वेतन दिया जाता था।

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