हत्या मामलों में अब अनिवार्य होगी ब्लड ग्रुप रिपोर्ट, कर्नाटक हाई कोर्ट का सख्त निर्देश

Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने डीजी, आईजीपी और अभियोजन विभाग के निदेशक को निर्देश दिया है कि हत्या के मामलों में घायल या मृत लोगों के खून के सैंपल लिए जाएं और उनकी ब्लड ग्रुप रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। यह रिपोर्ट अब अभियोजन के दस्तावेजों का हिस्सा होगी।

अपडेटेड Dec 10, 2025 पर 12:08 PM
Story continues below Advertisement
हत्या मामलों में अब अनिवार्य होगी ब्लड ग्रुप रिपोर्ट, कर्नाटक हाई कोर्ट का सख्त निर्देश

Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने डीजी, आईजीपी और अभियोजन विभाग के निदेशक को निर्देश दिया है कि हत्या के मामलों में घायल या मृत लोगों के खून के सैंपल लिए जाएं और उनकी ब्लड ग्रुप रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। यह रिपोर्ट अब अभियोजन के दस्तावेजों का हिस्सा होगी।

न्यायमूर्ति आर देवदास और न्यायमूर्ति बी मुरलीधरा पाई की खंडपीठ ने यह निर्देश गडग जिले के नारेगल पुलिस द्वारा खून की ग्रुपिंग से जुड़ा सबूत अदालत में प्रस्तुत करने में विफल रहने के एक हत्या मामले पर सुनवाई करते हुए जारी किया। रेलवे कुली भीमप्पा ने 6 जनवरी, 2019 को झगड़े के बाद अपनी पत्नी उमा की गर्दन और बाएं गाल पर कुल्हाड़ी से वार करके उसकी हत्या कर दी थी। दंपति की शादी को 12 साल हो गए थे और उनके तीन बच्चे थे। आरोपी को शक था कि उसकी पत्नी का किसी और से संबंध है।

ट्रायल कोर्ट ने 30 दिसंबर, 2021 को अपने फैसले में भीमाप्पा को हत्या के लिए आजीवन कारावास और आईपीसी की धारा 498ए (पति द्वारा पत्नी के प्रति क्रूरता) के तहत दो साल की कैद और 5,000 रुपये का जुर्माना सुनाया। भीमाप्पा ने फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने उनकी बेटी और एक पड़ोसी सहित स्वार्थी गवाहों पर भरोसा करके गलती की है। सरकारी वकील ने फैसले का बचाव किया और कहा कि ट्रायल कोर्ट का निर्णय सही था।


रिकॉर्ड की समीक्षा करने के बाद, खंडपीठ ने पाया कि बेटी द्वारा अपनी मां की हत्या के संबंध में दिए गए साक्ष्य को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि वह हमले की प्रत्यक्षदर्शी नहीं थी।

पड़ोसी ने बताया था कि आरोपी ने उमा पर हमला किया और कुल्हाड़ी वहीं छोड़कर घटनास्थल से भाग गया। पीठ ने गौर किया कि भीमाप्पा ने मुकदमे के दौरान इन बयानों का खंडन नहीं किया।

पीठ ने मृतक की ब्लड ग्रुप रिपोर्ट प्राप्त न करने में जांच अधिकारी (आईओ) की चूक पर ध्यान दिया। अपने साक्ष्य में, जांच अधिकारी ने घटना स्थल से रक्त से सने सामान की बरामदगी और मृतका तथा आरोपी के रक्त से सने कपड़ों की ज़ब्ती का उल्लेख किया था। अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) पक्ष ने FSL रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें ब्लड ग्रुप 'O' बताया गया था। हालांकि, इस बात की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया गया कि खून के धब्बे मृतक के ही थे।

पीठ ने कहा की, "जांच के दौरान खून से सनी मिट्टी, कपड़े और अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं इकट्ठा करने का मूल उद्देश्य परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को आपस में जोड़ना और आरोपी के अपराध को साबित करना है। यदि जांच एजेंसी मृतक या घायल व्यक्ति (जैसा भी मामला हो) की ब्लड रिपोर्ट प्राप्त करने में विफल रहती है, तो खून में लिपटे सामान को इकट्ठा करने का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाता है। हमारा अनुभव है कि जांच एजेंसी अक्सर ऐसी गलतियां करती है।"

इसलिए, पीठ ने हत्या के मामलों में निचली अदालत के समक्ष ब्लड ग्रुप की रिपोर्ट को अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

यह भी पढ़ें: Madhya Pradesh accident: सागर में भीषण सड़क हादसा, ट्रक की जोरदार भिड़ंत में बम निरोधक दस्ते के 4 जवानों की मौत, 1 घायल

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।