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BSF Jawan Return India: पाकिस्तान के कब्जे से भारत लौटे BSF जवान पीके साहू, अटारी-वाघा बॉर्डर से हुई वापसी

BSF Jawan: जवान को सुबह करीब 10.30 बजे अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत लौटाया गया। वो तीन सप्ताह के बाद भारत लौटे है

अपडेटेड May 14, 2025 पर 12:37 PM
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बीएसएफ जवान पीके साहू भारत लौटा (फाइल फोटो)

India-Pakistan News: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने बीएसएफ जवान को हिरासत में ले लिया था। सेना के अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ जवान आज सुबह भारत लौट आया। जवान को सुबह करीब 10:30 बजे अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत लौटाया गया। जवान की वापसी दोनों देशों के बीच 'सीजफायर समझौते' के कुछ दिन बाद हुई है। अधिकारियों ने बताया कि शोक में डूबे परिवार के लिए राहत की बात यह है कि सीमा सुरक्षा बल के जवान पीके साहू, जिन्हें 23 अप्रैल को अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा हिरासत में लिया गया था, वो बुधवार सुबह भारत लौट आए। उनकी भारत वापसी तीन सप्ताह बाद हुई है।

कई दौर की बातचीत के बाद लौटा जवान

BSF जवान की वापसी भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को एक दूसरे के खिलाफ सैन्य अभियान रोकने के लिए समझौते के कुछ दिनों बाद हुई है। वैसे दोनों देशों की सेनाओं के बीच जवान की वापसी को लेकर कई दौर की बातचीत हुई, जिसका शुरुआत में कोई नतीजा नहीं निकला। बीएसएफ अधिकारियों को हर बार पाकिस्तान की ओर से एक ही जवाब दिया गया कि 'हम उच्च अधिकारियों से निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं।' हालांकि, 10 मई को सीजफायर समझौता होने के बाद पीके साहू को पाकिस्तानी हिरासत से रिहा कर दिया गया।

पीके साहू की पत्नी रजनी ने पिछले दिनों फिरोजपुर का दौरा किया था, जहां वह तैनात थे और वरिष्ठ बीएसएफ अधिकारियों से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें भारत वापस लाने के लिए सभी प्रयास करने का आश्वासन दिया था।


दोनों देशों के अधिकारियों की सहमति से होता है फैसला 

सेना के अधिकारियों ने बताया, 'आज बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साहू, जो 23 अप्रैल 2025 से पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में थे उन्हें संयुक्त चेक पोस्ट अटारी, अमृतसर के माध्यम से लगभग 10:30 बजे भारत को सौंप दिया गया। यह हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।' सैनिकों या नागरिकों का गलती से सीमा पार करना किसी भी प्रकार से असामान्य नहीं है। ऐसे मामलों को आमतौर पर दोनों देशों की सहमति से सैन्य प्रक्रियाओं के माध्यम से सुलझाया जाता है। ऐसे मामलों में, हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को दोनों देशों के अधिकारियों के बीच औपचारिक बैठकों के बाद वापस कर दिया जाता है।

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