भारत में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है और इसका असर आम लोगों की जिंदगी पर भी पड़ रहा है। पिछले कुछ सालों में औसत तापमान बढ़ा है, लेकिन बारिश अब पुराने पैटर्न के अनुसार नहीं हो रही है। इस साल के मानसून में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों में बहुत ज्यादा बारिश हुई, जिससे कई जगहों पर बाढ़ जैसी स्थिति बनी। अब सर्दियों का मौसम आने वाला है और मौसम विशेषज्ञ पहले से ही अलर्ट दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार की सर्दियां सामान्य से ज्यादा ठंडी हो सकती हैं।
इसके पीछे मुख्य कारण ला-नीना है, जो समुद्र के सतही तापमान को ठंडा कर देता है और पूरे मौसम पर असर डालता है। अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला-नीना काफी सक्रिय रहने की संभावना है, जिससे इस साल ठंडी हवाओं और बर्फबारी के असर वाले सर्दियों का सामना करना पड़ सकता है।
ला-नीना क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
ला-नीना, एल-नीनो–सदर्न ऑसीलेशन (ENSO) का ठंडा चरण है। इसमें प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र का सतही तापमान सामान्य से नीचे चला जाता है। ये केवल महासागर तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वैश्विक मौसम पर भी असर डालता है। भारत में ला-नीना आमतौर पर सर्दियों को औसत से ठंडा बना देता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2025 के बीच ला-नीना विकसित होने की 50% से अधिक संभावना है, जिससे ठंडी सर्दियां होने की उम्मीद है।
2025-26 की सर्दियों का पूर्वानुमान
अमेरिकी नेशनल वेदर सर्विस के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) ने 11 सितंबर को बताया कि अक्टूबर-दिसंबर 2025 के बीच ला-नीना के एक्टिव होने की संभावना 71% है। हालांकि, दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच यह संभावना घटकर 54% तक रह सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दौरान हुई अच्छी बारिश ने तापमान को नियंत्रित किया है, इसलिए 2025 साल अब तक के सबसे गर्म वर्षों में शामिल नहीं होगा।
समुद्री सतह और ठंडी सर्दियों का कनेक्शन
स्काइमेट वेदर के अध्यक्ष जी. पी. शर्मा के मुताबीक, प्रशांत महासागर का ठंडा होना आमतौर पर उत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड और बर्फबारी के साथ जुड़ा रहता है। अगर समुद्र का सतही तापमान -0.5°C से नीचे चला जाए और ये तीन लगातार तिमाहियों तक बना रहे, तो इसे आधिकारिक तौर पर ला-नीना घोषित किया जाएगा। भले ही अभी तकनीकी मानकों तक तापमान गिरावट न पहुंचा हो, मौजूदा ठंडा पड़ाव भी वैश्विक मौसम को प्रभावित कर सकता है।
मौसम विशेषज्ञों की चेतावनी के अनुसार, इस साल की सर्दियां सामान्य से अधिक ठंडी और कुछ क्षेत्रों में बर्फबारी अधिक हो सकती है। इसलिए घरों, फसलों और सड़क परिवहन की तैयारी पहले से करना जरूरी है। खासकर हिमाचल, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्य पहले से ही भारी बर्फबारी और ठंड के लिए तैयार रहें।