WhatsApp Scam : देश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहे हैं और अब ये साइबर ठग बड़े लोगों व संस्थानों को भी निशाना बना रहे हैं। हाल ही में काकीनाडा के सांसद और टी टाइम कंपनी के मालिक उदय श्रीनिवास के फाइनेंस मैनेजर से ठगी का मामला सामने आया। साइबर ठगों ने खुद को सांसद बताकर 92 लाख रुपये हड़प लिए। यह मामला 22 अगस्त को तब सामने आया जब कंपनी के मुख्य वित्त प्रबंधक गंगीसेट्टी श्रीनिवास राव को व्हाट्सएप पर एक अज्ञात नंबर से संदेश आया। उस नंबर पर सांसद उदय श्रीनिवास की प्रोफ़ाइल फोटो लगी हुई थी, जिससे उन्हें यकीन हो गया कि यह उनके बॉस का नया नंबर है। इसी गलतफहमी का फायदा उठाकर अपराधियों ने बड़ी रकम निकलवा ली।
92 लाख रुपए की ठगी
सांसद और उनकी टीम ने तुरंत साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज की। हालांकि लेन-देन दो हफ्ते पहले हो चुके थे, इसलिए ठग ज्यादातर रकम निकाल ले गए। पुलिस केवल 7 लाख रुपये की राशि को ही फ्रीज कर पाई, बाकी पैसा हाथ से निकल चुका था। पुलिस ने बताया कि अपराधियों ने सोशल इंजीनियरिंग का तरीका अपनाया। वे फ़ोन या व्हाट्सएप पर खुद को भरोसेमंद लोगों—जैसे बॉस, पुलिस अधिकारी या परिवार का सदस्य—बनाकर सामने आते हैं, ताकि आसानी से पीड़ितों को भावनात्मक दबाव में लाकर पैसे ऐंठ सकें।
ठगों ने ऐसे बिछाया जाल
सांसद और उनकी टीम ने तुरंत साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज की। हालांकि लेन-देन दो हफ्ते पहले हो चुके थे, इसलिए ठग ज्यादातर रकम निकाल ले गए। पुलिस केवल 7 लाख रुपये की राशि को ही फ्रीज कर पाई, बाकी पैसा हाथ से निकल चुका था। पुलिस ने बताया कि अपराधियों ने सोशल इंजीनियरिंग का तरीका अपनाया। वे फ़ोन या व्हाट्सएप पर खुद को भरोसेमंद लोगों—जैसे बॉस, पुलिस अधिकारी या परिवार का सदस्य—बनाकर सामने आते हैं, ताकि आसानी से पीड़ितों को भावनात्मक दबाव में लाकर पैसे ऐंठ सकें।
साइबर ठगों से रहे अलर्ट
पुलिस ने फिर से लोगों को आगाह किया है कि किसी भी संदिग्ध नंबर या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से आने वाले पैसों के अनुरोध पर बिना जांचे भरोसा न करें। यह घटना सिर्फ काकीनाडा ही नहीं, बल्कि पूरे तेलुगु राज्यों के लिए चिंता का कारण बनी है, क्योंकि इससे साबित होता है कि बड़े व्यापारी और जनप्रतिनिधि भी साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं। चेतावनियों और जागरूकता अभियानों के बावजूद, ठग लगातार नए तरीके अपनाकर लोगों का भरोसा तोड़ रहे हैं। सांसद की टीम से लगभग एक करोड़ रुपये की ठगी ने साफ कर दिया है कि साइबर सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि हर किसी के लिए जरूरी है।
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