दिल्ली ब्लास्ट केस में नया खुलासा...उमर चाहता था 9/11 जैसा अटैक, साथियों के बीच इस बात पर पड़ी थी दरार

Delhi Blast Case : विचारधारा के मतभेदों के साथ-साथ फंडिंग को लेकर हुए विवादों ने भी ग्रुप के अंदर दरार को और गहरा कर दिया। जानकारी के मुताबिक, इस मॉड्यूल ने विस्फोटक और अन्य इंतज़ामों के लिए लगभग 26 लाख रुपये जुटाए थे

अपडेटेड Nov 23, 2025 पर 2:55 PM
Story continues below Advertisement
फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़े आतंकियों के बीच मतभेद थे

10 नवंबर को दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की जांच में पता चला है कि इस हमले के टेरर मॉड्यूल के भीतर ही गंभीर मतभेद चल रहे थे। कहा जा रहा है कि बॉम्बर उमर-उन-नबी अपनी कट्टर सोच और अलग विचारों की वजह से अपने ही साथियों से दूरी बना रहा था। आतंकियों के बीच मतभेद इतने बढ़ गए थे कि मॉड्यूल से जुड़े अहम सदस्य एक-दूसरे से दूरी बनाने लगे थे। ताजा जांच में सामने आया है कि इसी आंतरिक खींचतान के कारण धमाका करने वाला आतंकी उमर नबी अपने साथी आदिल राथर की शादी में शामिल होने तक नहीं गया। इसकी वजह विचारों में मतभेद, काम करने के तौर-तरीकों पर असहमति और पैसों से जुड़े विवाद बताए जा रहे हैं।

ISIS बनाम अल-कायदा

जांच अधिकारियों के मुताबिक, हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कश्मीरी डॉक्टर उमर-उन-नबी की सोच इस्लामिक स्टेट (ISIS) से मिलती थी। वहीं मॉड्यूल के बाकी सदस्य अल-कायदा समर्थक ग्रुप्स से जुड़े थे, जिनमें अंसार गजवत-उल-हिंद भी शामिल है। हालांकि ISIS और अल-कायदा दोनों सलाफीवाद और हिंसक जिहाद की विचारधारा से निकले हैं, लेकिन कई मुद्दों पर उनकी सोच अलग है- जैसे सांप्रदायिक हिंसा को देखने का नजरिया, वैश्विक बनाम स्थानीय प्राथमिकताएँ और खिलाफत बनाने की रणनीतिइसी वैचारिक अंतर के कारण ग्रुप में तनाव बढ़ गया। बताया जाता है कि सेल के “सबसे कट्टरपंथी” माने जाने वाले उमर ने इसी मतभेद की वजह से इस साल की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में अदील की शादी में भी हिस्सा नहीं लिया।

रिपोर्ट के मुताबिक, झगड़े के बावजूद उमर बाद में अक्टूबर में काजीगुंड गया, ताकि रिश्ते सुधारे जा सकें और कई जगहों पर होने वाले कोऑर्डिनेटेड ब्लास्ट्स की योजना फिर से मिलकर तैयार की जा सके।

पैसों को लेकर भी हुआ बड़ा झगड़ा


विचारधारा के मतभेदों के साथ-साथ फंडिंग को लेकर हुए विवादों ने भी ग्रुप के अंदर दरार को और गहरा कर दिया। जानकारी के मुताबिक, इस मॉड्यूल ने विस्फोटक और अन्य इंतज़ामों के लिए लगभग 26 लाख रुपये जुटाए थे। जब उमर से इन पैसों का विस्तृत हिसाब मांगा गया, तो वह नाराज़ हो गया। जांच अधिकारियों के अनुसार, योगदान इस तरह से किया गया था:

  • उमर ने 2 लाख रुपये दिए,
  • अदील अहमद राथर ने 8 लाख रुपये,
  • शाहीन सईद और मुज़म्मिल शकील ने 5-5 लाख रुपये,
  • अदील के भाई मुज़फ़्फ़र अहमद राथरजो अब भारत से भाग चुका हैने 6 लाख रुपये दिए।

ये मतभेद आगे चलकर हमले की रणनीति तक पहुंच गए। उमर चाहता था कि ऑपरेशन हाई-इंपैक्ट तरीके से किया जाए, जबकि बाकी सदस्य इससे सहमत नहीं थे।

हमला कैसे हुआ?

10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके में 14 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। शुरुआत में उमर की योजना थी कि कार बम को लाल किले की पार्किंग में ही विस्फोट किया जाए, जो पास के बाज़ारों के कारण बहुत भीड़भाड़ वाला इलाका होता है। लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, उसी दिन उसे यह खबर मिली कि उसके दो साथीशाहीन सईद और मुज़म्मिल शकीलको पहले ही एक बड़े “व्हाइट-कॉलर” टेरर मॉड्यूल से जुड़े मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह सुनकर उमर घबरा गया। जब वह लाल किले पहुंचा, तो उसने देखा कि सोमवार की छुट्टी की वजह से परिसर बंद था और आसपास भीड़ भी बहुत कम थी। इसके बाद उसने अपनी योजना बदल दी और धमाका पास ही एक दूसरी जगह पर किया, जहां लोग मौजूद थे।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।