दिल्ली विस्फोट की चल रही जांच में एक बड़ी जानकारी सामने आई है कि संदिग्ध डॉ. उमर ने धमाके के लिए इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार को ड्राइव कर राष्ट्रीय राजधानी के करीब आधे हिस्से का सफर किया। अधिकारियों के अनुसार, आरोपी ने विस्फोट से पहले दिल्ली के छह जिलों में फैले 12 से ज्यादा जगहों का दौरा किया। जिन्होंने दक्षिण पूर्व दिल्ली, पूर्व दिल्ली, सेंट्रल दिल्ली, नई दिल्ली जिला, उत्तर दिल्ली और उत्तर पश्चिम दिल्ली के क्षेत्र शामिल हैं, जो एक असामान्य और शायद पूर्व सुनयोजित रूट बताया जा रहा है।
जांचकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आधे दिल्ली का यह दौरा करने का मकसद क्या था। संदिग्ध जहां-जहां गया उन जगहों में नेताजी सुभाष पैलेस, अशोक विहार, कन्नॉट प्लेस, रंजीत फ्लाईओवर, डिलाइट सिनेमा, शहीद भगत सिंह मार्ग और रोहतक रोड शामिल हैं। इसके अलावा उत्तर दिल्ली के कश्मीरी गेट, दरियागंज और लालकिले के इलाके भी शामिल हैं।
CCTV फुटेज के जरिए सोमवार शाम को धमाका का सही समय पता चला। विस्फोट लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक ट्रैफिक सिग्नल पर धीमी रफ्तार से चल रही कार में हुआ। इस धमाके में 12 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए, साथ ही कई वाहन जल गए।
वरिष्ठ अधिकारीयों ने News18 को बताया कि डॉ. उमर ने शायद जानबूझकर भीड़-भाड़ वाले और हाई ट्रैफिक इलाकों से कार चलाई, ताकि निगरानी में भ्रम पैदा किया जा सके या सुरक्षा कवरेज का जायजा लिया जा सके।
नई CCTV फुटेज में आरोपी को मास्क लगाए हुए बादलपुर टोल प्लाजा के पास कार से गुजरते हुए दिखा गया है, जो बाद में विस्फोट में इस्तेमाल हुई कार बताई जा रही है।
अधिकारी लगातार कई जिलों की कई घंटों की CCTV फुटेज का विश्लेषण कर रहे हैं, ताकि आरोपी के मूवमेंट का सही पता लगाया जा सके। इस रूट में टोल गेट, व्यावसायिक केंद्र और मुख्य सड़कें शामिल हैं, जिससे अधिकारी संभावित एंट्री और एग्जिट रूट का भी पता लगा पाएंगे।
शुरुआती जांच में माना जा रहा है कि आरोपी अकेला नहीं था। पुलिस यह जांच रही है कि जिन 12 जगहों की यात्रा की गई, उनमें कोई बैठक, सप्लाई ड्रॉप या संभावित लक्ष्यों के लिए सर्वेक्षण हुआ या नहीं।
फॉरेंसिक टीम विस्फोट में इस्तेमाल हुए विस्फोटक के प्रकार और किसी भी निशान की पहचान कर रही है, जो इस घटना को अन्य मामलों से जोड़ सके।
राजधानी के व्यस्त इलाकों जैसे कन्नॉट प्लेस और मुख्य सड़क चौराहों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
अधिकारी कहते हैं कि छह जिलों में इतना व्यापक सफर या तो पीछा छुड़ाने और पहचान में देरी करने की रणनीति हो सकती है, या फिर पुलिस की उपस्थिति और निगरानी की जांच करने के लिए तैयारी और रेकी भी हो सकता है।
जांच अब हर एक जगह के समय को रिकॉर्ड कर रही है, ताकि पता चल सके कि रास्ते में आरोपी को कहीं मदद या संसाधन मिले थे या नहीं।