Delhi Blast : अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जव्वाद अहमद गिरफ्तार, ED का बड़ा एक्शन

D ने ये एक्शन प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत की गई है। ईडी ने यह गिरफ्तारी अल-फलाह ग्रुप से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के दौरान मिली जानकारी और डॉक्यूमेंट की जांच करने के बाद की। इससे पहले खबर थी कि एजेंसी की टीम सिद्दीकी से पूछताछ कर रही थी और उनके घर पर भी तलाशी चल रही थी

अपडेटेड Nov 18, 2025 पर 9:59 PM
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ED ने अल-फलाह ग्रुप के चैयरमेन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और अल-फलाह ग्रुप के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया। ED ने ये एक्शन प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत की गई है। ईडी ने यह गिरफ्तारी अल-फलाह ग्रुप से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के दौरान मिली जानकारी और डॉक्यूमेंट की जांच करने के बाद की। इससे पहले खबर थी कि एजेंसी की टीम सिद्दीकी से पूछताछ कर रही थी और उनके घर पर भी तलाशी चल रही थी।

 दिल्ली पुलिस ने दर्ज किए हैं दो मामले 

सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने यह जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में दर्ज दो मामलों के आधार पर शुरू की। इन शिकायतों में आरोप था कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने अपने फायदे के लिए छात्रों और अन्य लोगों को गुमराह करते हुए झूठा दावा किया कि उसके पास एनएएसी की मान्यता है। शिकायतों में यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय ने यूजीसी अधिनियम की धारा 12(बी) के तहत मान्यता होने का गलत दावा किया, जबकि वास्तव में उसे केवल धारा 2(एफ) के तहत राज्य के निजी विश्वविद्यालय के रूप में शामिल किया गया था। यूजीसी ने भी साफ किया कि अल-फलाह विश्वविद्यालय ने कभी 12(बी) दर्जे के लिए आवेदन नहीं किया और न ही वह इस श्रेणी में किसी भी तरह की फाइनेंशियल असिस्टेंट पाने के योग्य था।

ट्रस्ट के पैसों की भी हो रही है जांच


सूत्रों के अनुसार, अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 1995 में हुई थी। इस ट्रस्ट के संस्थापक और मुख्य ट्रस्टी जवाद अहमद सिद्दीकी हैं। ट्रस्ट के तहत चलने वाले सभी शैक्षणिक संस्थानों का मालिकाना हक और उनकी वित्तीय व्यवस्था इसी ट्रस्ट के पास है। हालांकि 1990 के दशक से ट्रस्ट और उससे जुड़े संस्थानों का काफी विस्तार हुआ है, लेकिन जांच करने वालों का कहना है कि इस बढ़ोतरी का वित्तीय आधार साफ नहीं दिखता। जब ईडी ने विश्वविद्यालय और उससे जुड़े महत्वपूर्ण लोगों के घरों पर छापेमारी की, तो पता चला कि कथित तौर पर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई हुई है और यह धन अलग-अलग जगहों पर भेजा गया है।

जांच में यह भी सामने आया कि ट्रस्ट से मिलने वाले पैसों को परिवार की कंपनियों में भेजा गया। साथ ही, निर्माण और खानपान से जुड़े ठेके भी उन फर्मों को दिए गए जो सिद्दीकी की पत्नी और बच्चों से जुड़ी हुई थीं।

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