ED Raid in Bihar: बिहार की राजधानी पटना में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही मे छापेमारी की, जो विधानसभा चुनाव से पहले चर्चा का विषय बना हुआ है। अधिकारी के घर अभूतपूर्व मात्रा में कैश बरामद हुई है। CNBC-TV18 Awaaz की रिपोर्ट के अनुसार, कैश इतनी बड़ी थी कि अधिकारियों को चार काउंटिंग मशीनें लगानी पड़ीं, जो आठ घंटे से ज्यादा समय तक लगातार चलती रही। पटना के पूर्णेंदु नगर में भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर के घर पर सुबह-सुबह छापेमारी शुरू हुई।
यह छापेमारी आईएएस अधिकारी संजीव हंस से जुड़ी जांच का हिस्सा है। सूत्रों के अनुसार, ED अधिकारियों को बेनामी लेनदेन और अवैध लेन-देन से जुड़ी बड़ी मात्रा में बेहिसाब कैश के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी। पटना में स्थित सीक्रेट बंगले में घुसने पर कथित तौर पर कई कमरों में रखे नोटों की भारी मात्रा देखकर अधिकारियों के होश उड़ गए।
न्यू इडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी अधिकारियों ने बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान 11.64 करोड़ रुपये कैश जब्त किए गए। 1997 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नए सबूत मिलने के बाद छापेमारी की गई, जो वर्तमान में पटना के बेउर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पटना में सात ठिकानों पर छापेमारी की गई। इसमें बिहार भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर तारणी दास का आवास भी शामिल है। वित्त विभाग में संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी और शहरी विकास एवं आवास विभाग में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर उमेश कुमार सिंह सहित अन्य के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई।
केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जारी एक बयान से पता चला है कि BUIDCO के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर अयाज अहमद, बीएमएसआईसीएल में डीजीएम (प्रोजेक्ट्स) सागर जायसवाल, बीएमएसआईसीएल में डीजीएम विकास झा के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई। ईडी सूत्रों ने कहा कि इन अधिकारियों पर पटना स्थित ठेकेदार रिशु श्री सहित विभिन्न ठेकेदारों के लिए कॉन्ट्रैक्ट में पक्षपात के बदले रिश्वत के पैसे लेने का आरोप है।
बयान में खुलासा हुआ कि कार्रवाई के दौरान 11.64 करोड़ रुपये कैश जब्त किए गए। साथ ही अधिकारियों के बीच रिश्वत के पैसे के डिटेल्स और अन्य आपत्तिजनक सबूतों का डिटेल्स देने वाले दस्तावेज भी जब्त किए गए। हालांकि, एजेंसी ने प्रत्येक अधिकारी से बरामद राशि के बारे में डिटेल्स नहीं दिया। फिलहाल, सभी निगरानी में हैं। ताजा तलाशी से संबंधित विभागों के शीर्ष अधिकारियों में बेचैनी पैदा हो गई है।
संजीव हंस के खिलाफ मामला पिछले साल बिहार पुलिस की स्पेशल विजिलेंस यूनिट में दर्ज किया गया था। हंस ने आखिरी बार राज्य ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में काम किया था। बाद में उनको गिरफ्तार कर लिया गया। जांचकर्ताओं द्वारा उनके खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उन पर गैरकानूनी तरीकों से बेहिसाब संपत्ति जमा करने का आरोप है। ED 2018 से 2023 तक विभिन्न विभागों में उनकी पोस्टिंग की जांच कर रहा है।