प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह समाजवादी पार्टी के नेता और चिल्लूपार के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी से जुड़े देश भर में करीब 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इनमें गोरखपुर, लखनऊ, नोएडा, महाराजगंज, दिल्ली और मुंबई के परिसर शामिल हैं। विनय शंकर तिवारी गोरखपुर के पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता दिवंगत हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। उन्होंने अपने पिता के गोरखपुर विधानसभा क्षेत्र चिल्लूपार का प्रतिनिधित्व किया था, जब वे बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे।
बाद में वे समाजवादी पार्टी (SP) में शामिल हो गए और 2022 का विधानसभा चुनाव हार गए। TOI ने सूत्रों के हवाले से बताया, ED ने उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है।
ED की जांच से पता चला कि मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों, निदेशकों और गारंटरों के साथ मिलकर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से 1,129.44 करोड़ रुपए की लोन फैसिलिटी हासिल की थी।
बाद में यह रकम दूसरी कंपनियों में डाल दी गई और लोन नहीं चुकाया गया। इससे कथित तौर पर कंसोर्टियम को करीब 754.24 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
ED की कार्रवाई अक्टूबर 2020 में गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड और उसके प्रमुख हितधारकों के खिलाफ नई दिल्ली में CBI की ओर से दर्ज किए गए एक मामले के बाद हुई है। CBI की दिल्ली इकाई के एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से दर्ज की गई FIR में इसके डायरेक्टर - विनय शंकर तिवारी, उनकी पत्नी रीता और अजीत पांडे का नाम शामिल किया गया था।
जांच में गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड, इसके प्रमोटर, डायरेक्ट और गारंटर के बीच सात बैंकों से धोखाधड़ी से 1129 करोड़ रुपए से ज्यादा की लोन फैसिलिटी हासिल करने में कथित मिलीभगत का पता चला, जिसमें बैंक ऑफ इंडिया लीडिंग बैंक था।
TOI के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि लोन हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया और बाद में कंपनी ने पेमेंट में चूक की।
सूत्रों ने बताया कि एक निजी कंपनी रॉयल एम्पायर मार्केटिंग लिमिटेड और गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड, जिसका कॉर्पोरेट ऑफिस महानगर लखनऊ में है, सड़क, पुल और फ्लाईओवर के निर्माण के साथ-साथ दूसरी कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में लगी हुई थी। उन्होंने बताया कि दोनों कंपनियों के मालिक विनय तिवारी हैं।