Floods in Varanasi: उत्तर प्रदेश के कम से कम 21 जिले इस वक्त बाढ़ से प्रभावित हैं। राज्य में भारी बारिश के कारण गंगा, यमुना और बेतवा सहित प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गंगा नदी वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और बलिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जबकि यमुना औरैया, कालपी, हमीरपुर, प्रयागराज और बांदा में लाल निशान से ऊपर है। बेतवा नदी भी हमीरपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित जिलों में वाराणसी, प्रयागराज, जालौन, औरैया, हमीरपुर, मिर्जापुर, कानपुर देहात, बलिया, बांदा, इटावा, फतेहपुर, कानपुर नगर और चित्रकूट शामिल हैं।
वाराणसी के कुछ हिस्सों में बुधवार (6 अगस्त) को भारी बारिश के कारण गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। बारिश के बाद आई बाढ़ से काशी के सभी 84 घाट, दर्जनों मोहल्ले और सैकड़ों की संख्या में गांव जलमग्न हो गए हैं। 'अमर उजाला' के मुताबिक, वाराणसी के तीन तहसील, 28 मोहल्ला एवं वार्ड और 90 गांवों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। लगभग 6,000 लोगों ने राहत शिविर और बाकी अपने पड़ोसियों एवं अन्य जगहों पर शरण ले ली है। कुल 8,352 किसान इस बारिश और बाढ़ से प्रभावित हैं। इसके अलावा कम से कम 2,208 हेक्टेयर फसल नुकसान हो गई है।
प्रयागराज में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 84.73 मीटर से ऊपर है, जिससे शहर की लगभग 60 बस्तियां बाढ़ की चपेट में आ गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि शहर में सदर तहसील के अंतर्गत जो वार्ड और मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं, उनमें राजापुर, बेली कछार, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा और बड़ा बघाड़ा प्रमुख रूप से प्रभावित हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में फूलपुर तहसील के 18, सोरांव के आठ, मेजा के 12, बारा तहसील के आठ और हंडिया तहसील के छह गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।
6,000 से अधिक लोगों ने छोड़ा घर
रिपोर्टों के अनुसार, बाढ़ के कारण लगभग 6,583 लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों और अस्थायी आश्रयों सहित सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है। एनडीआरएफ ने आठ नावें भेजी हैं। जिला प्रशासन ने बाढ़ राहत किट, ओआरएस पैकेट और भोजन पहुंचाने के लिए 42 और नावें तैनात की हैं। बाढ़ प्रभावित लोगों को 17,000 से अधिक खाद्य पैकेट वितरित किए गए। वाराणसी के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि नाले का पानी उनके इलाके में घुस गया है, जिससे डेंगू जैसी बीमारियों की चिंता बढ़ गई है।
एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा, "छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। जलभराव के कारण कोई भी कहीं जा नहीं पा रहा है। यहां तक कि खाना भी नहीं बन पा रहा है क्योंकि सब्ज़ी वाले नहीं आ रहे हैं। 3-4 साल बाद इस इलाके में बाढ़ आई है।" जिला मजिस्ट्रेट सत्येंद्र कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। सरैया राहत शिविर में उन्होंने खुद हालात का जायजा लिया। उन्होंने बच्चों को चॉकलेट बांटीं।
अस्सी घाट पर नदी का पानी सड़क पर बहकर जगन्नाथ मंदिर के द्वार तक पहुंच गया है। जैसे ही ज्यादा लोग इसे देखने के लिए इकट्ठा हुए, पुलिस ने इलाके को सुरक्षित रखने के लिए बैरिकेड लगा दिए। अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। इससे सभी 84 घाट जलमग्न हो गए हैं। अधिकारियों को दाह संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान छतों और ऊंचे चबूतरों पर करने के आदेश देने पड़े।