Pahalgam Attack: पहलगाम हमले का कैसे बदला लेगा भारत, क्या PM मोदी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेंगे वापस?

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद शिमला समझौते से पाकिस्तान के पीछे हटने से अब भारत के लिए पीओके में घुसने और उस पर कब्जा करने के दरवाजे खुल गए हैं। यह पीएम नरेंद्र मोदी के लिए ऐतिहासिक कदम हो सकता है। जैसे पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित करने के लिए इंदिरा गांधी को याद किया जाता है

अपडेटेड Apr 28, 2025 पर 4:44 PM
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Pahalgam Terror Attack: भारत के पास सब करने के लिए हथियार और क्षमता है, जिसकी उसे जरूरत है

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से बदला देने कि मांग की जा रही है। अब सवाल उठ रहा है कि पड़ोसी देश के साथ युद्ध का ऐलान होगा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में सैन्य अभियान चलाकर उस पर कब्जा किया जाएगा या फिर पाकिस्तान पर एक बार फिर से सर्जिकल स्ट्राइक की जाएगी? उरी के बाद भारत ने 2016 में आतंकी ठिकानों पर जमीनी सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा के बाद 2019 में बालाकोट हवाई हमला किया था। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भारत पहलगाम में 26 निहत्थे पर्यटकों को मारने के लिए आतंकवादियों को भेजने वाले पाकिस्तान को कैसे सजा देगा।

भारत के पास सब करने के लिए हथियार और क्षमता है जिसकी उसे जरूरत है। शिमला समझौते से पाकिस्तान के पीछे हटने से अब भारत के लिए पीओके में घुसने और उस पर कब्जा करने के दरवाजे खुल गए हैं। यह पीएम नरेंद्र मोदी के लिए ऐतिहासिक कदम हो सकता है। जैसे पाकिस्तान को दो टुकड़ों में विभाजित करने के लिए इंदिरा गांधी को याद किया जाता है। हमारे विमानवाहक पोतों पर तैनात राफेल और ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों के साथ भारत अपने ही क्षेत्र से पाकिस्तान पर घातक हमला कर सकता है।

पाक सेना पर कार्रवाई करेगा भारत?


एक बात तो साफ है। भारत पहलगाम आतंकी मामले में पाकिस्तानी सेना और उसके प्रमुख असीम मुनीर को मुख्य आरोपी मानता है। खास तौर पर इसलिए क्योंकि मुनीर ने आतंकी हमले से पहले विवादित बयान दिया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेशी दूतों को इस बारे में जानकारी दी है। इसलिए इस बार निशाने पर सिर्फ आतंकी कैंप ही नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना भी होनी चाहिए। भारत को सिर्फ असेंबली लाइन ही नहीं बल्कि आतंक के स्रोत पर भी ध्यान देना चाहिए। पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में कई अज्ञात बंदूकधारियों ने कई आतंकवादियों को मार गिराया है।

पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत को लगभग हर बड़ी विश्व शक्ति से समर्थन भी मिला हुआ है। भारत के पास 290 किलोमीटर की रेंज और 2.8 मैक की स्पीड वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। भारत के नौसेना के विध्वंसक इससे लैस हैं। भारत के पास INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोत हैं। जबकि पाकिस्तान के पास इनमें से कोई नहीं है। भारत के पास MH 60R हेलीकॉप्टर हैं, जैसे कि अमेरिका ने आतंकी ओसामा बिन लादेन ऑपरेशन में इस्तेमाल किया था।

2019 में भारत ने दिया था जवाब

2019 में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एक साहसिक हवाई हमले के साथ पुलवामा आतंकी हमले का जवाब दिया। भारतीय वायु सेना ने आतंकी शिविरों पर हमला करने के लिए स्पाइस-2000 बमों से लैस मिराज 2000 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था। 2020 और 2023 के बीच भारत ने फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदे। अब अंबाला और हाशिमारा में तैनात ये अत्याधुनिक लड़ाकू विमान SCALP प्रिसिजन मिसाइलों और मेटियोर BVR मिसाइलों से लैस हैं, जो भारत को 300 किलोमीटर और उससे भी आगे तक बेजोड़ स्ट्राइक क्षमता प्रदान करते हैं।

क्या PM मोदी पीओके वापस पा लेंगे?

शिमला समझौते को स्थगित करने का पाकिस्तान का फैसला एक बड़ा गेमचेंजर है, जिससे पाकिस्तान को नुकसान हो सकता है। 1971 के युद्ध के बाद स्थापित LoC को शिमला समझौते के तहत उल्लंघन योग्य माना गया था। पाकिस्तान के इससे अलग होने के बाद, भारत अब इसका सम्मान करने के लिए बाध्य नहीं है। इससे एलओसी पर भारत को सैन्य स्वतंत्रता मिल सकती है। संभवतः सैन्य अभियानों के दौरान इसे पार कर सकता है।

पाकिस्तान ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान एलओसी का उल्लंघन किया था। भारत ने इसे पार न करके संयम बरता था। हालांकि, शिमला समझौते के बिना भारत अब पीओके में दाखिल हो सकता है। शिमला समझौते को स्थगित करके, पाकिस्तान ने अनिवार्य रूप से भारत के लिए एलओसी की स्थिति को बदलने का रास्ता खोल दिया है। इससे एलओसी अस्थिर और अप्रत्याशित रेखा बन जाने के साथ और अधिक सैन्य मुठभेड़ हो सकती है।

मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) अक्सर कहती रही है कि पाकिस्तान के साथ एकमात्र अधूरा काम पीओके को भारत को वापस करना है। भारत ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाकर और यह कहकर कूटनीतिक हमला पहले ही कर दिया है कि हम पाकिस्तान को पानी की एक-एक बूंद के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर देंगे।

सिंधु नदी संधि को ठंडे बस्ते में डालने से भारत को जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा, रतले और पाकल दुल जैसी अपनी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने और उनका लाभ उठाने का मौका मिलता है। उन्हें सिर्फ ऊर्जा पहल के तौर पर ही नहीं बल्कि रणनीतिक दबाव के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पाकिस्तान स्पष्ट रूप से घबराया हुआ और चिंतित है। पाकिस्तान ने इसे युद्ध की कार्रवाई बताया है।

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Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Apr 28, 2025 4:39 PM

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