Crude Oil Imports: अमेरिका से भारत की तेल की खरीदारी इस वित्त वर्ष 2026 में ढाई गुना से अधिक बढ़ सकती है। सीएनबीसी-टीवी18 को सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है। जानकारी के मुताबिक इस वित्त वर्ष 2026 में अमेरिका से कच्चे तेल का वॉल्यूम 150% से अधिक बढ़ने की उम्मीद है। अमेरिका से तेल की अधिक खरीदारी का रुझान तो अभी से दिखने लगा है। इस वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2025 में ही अमेरिका से कच्चे तेल का आयात सालाना आधार पर 114% उछलकर करीब $370 करोड़ पर पहुंच गया। पिछले साल की समान तिमाही में भारत ने अमेरिका से $173 करोड़ का तेल मंगाया था।
तेल के आयात में तेजी से बढ़ी अमेरिका की हिस्सेदारी
भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल की खरीदारी बढ़ा दी है। यह खरीदारी इतनी तेज बढ़ी है कि भारत में जो कच्चा तेल बाहर से आता है, उसमें से अमेरिकी तेल की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। पिछले महीने जुलाई में अमेरिका के कच्चे तेल के भारत के ओवरऑल इंपोर्ट बास्केट में हिस्सेदारी 3% से बढ़कर 8% पर पहुंच गई। इस साल 2025 की पहली छमाही जनवरी-जून 2025 में अमेरिका से भारत ने प्रतिदिन औसतन 2.71 लाख बैरल कच्चा तेल मंगाया जबकि पिछले साल समान अवधि में प्रतिदिन 1.8 लाख बैरल कच्चा तेल आया था।
अमेरिका से बढ़ रहा LNG का आयात भी
भारत ने अमेरिका से सिर्फ कच्चे तेल की ही खरीदारी नहीं बढ़ाई है बल्कि लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) की भी खरीदारी बढ़ाई है। भारत ने वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका से करीब $140 करोड़ का एलएनजी मंगाया था जो अगले वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर $240 करोड़ के करीब पहुंच गया यानी कि सालाना आधार पर भारत ने अमेरिका से एलएनजी की खरीदारी दोगुने से अधिक बढ़ा दी।
रूस से तेल की खरीदारी बंद होगी तो क्या होगा?
अमेरिका ने भारत को रूस से तेल की खरीदारी बंद करने को कहा है और अपने यहां से खरीदारी बढ़ाने को कहा है। हालांकि सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में सूत्रों ने कहा कि तेल की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए भारत की रूस से खरीदारी अनिवार्य है। अमेरिका ने भारत पर 25% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही रूस के साथ कारोबारी संबंध पर पेनल्टी लगाने की धमकी दी है लेकिन यह कितना होगा, इस पर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक रूस से तेल की खरीदारी में भारत इंटरनेशनल प्रोटोकॉल्स का पालन करता है। सूत्र का कहना है कि वैश्विक मांग का करीब 10% हिस्सा यानी हर दिन 95 लाख बैरल तेल रूस निकालता है जिसमें से करीब 45 लाख बैरल निर्यात होता है और इसमें से करीब 20 लाख बैरल भारत आता है।