काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों को मिला सरकारी कर्मचारी का दर्जा, तीन गुना बढ़ा वेतन

Kashi Vishwanath Temple: राज्य सरकार ने 1983 में मंदिर का प्रशासन अपने हाथ में लिया था, लेकिन अब तक पुजारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई खास सुधार नहीं हुआ था। इस बदलाव से मंदिर के कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश के अन्य सरकारी कर्मचारियों के बराबर एक्सट्रा लाभ मिलेंगे

अपडेटेड Sep 06, 2025 पर 2:12 PM
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पुजारियों का मासिक वेतन, जो अब तक लगभग ₹30,000 था, अब नए नियमों के तहत लगभग तीन गुना हो जाएगा

Kashi Vishwanath Temple: यूपी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसले में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने पुजारियों और कर्मचारियों के लिए नए सेवा नियमों को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय के तहत उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा मिलेगा और उनके वेतन में भी काफी बढ़ोतरी होगी। पुजारियों का मासिक वेतन, जो अब तक लगभग ₹30,000 था, अब नए नियमों के तहत लगभग तीन गुना हो जाएगा। पिछले चार दशकों में पुजारियों के सेवा शर्तों में यह पहला बड़ा सुधार है।

शिक्षा, सुरक्षा और सुविधाओं पर जोर

गुरुवार शाम को हुई अपनी 108वीं बैठक में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने कई अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। इनमें पारंपरिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिर्जापुर के ककरही में मंदिर की 46 बीघा जमीन पर एक वैदिक शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना शामिल है। इसके अलावा भक्तों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए काशी विश्वनाथ धाम और शक्तिपीठ विशालाक्षी माता मंदिर के बीच एक सीधा मार्ग बनाने के लिए भवनों को खरीदने की मंजूरी दी गई। धाम में सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए एक उन्नत नियंत्रण कक्ष और आधुनिक निगरानी कैमरे लगाने का भी निर्णय लिया गया है।


वेतन और सुविधाओं में बड़ा बदलाव

राज्य सरकार ने 1983 में मंदिर का प्रशासन अपने हाथ में लिया था, लेकिन अब तक पुजारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई खास सुधार नहीं हुआ था। इस बदलाव से मंदिर के कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश के अन्य सरकारी कर्मचारियों के बराबर अतिरिक्त लाभ मिलेंगे। इस कदम को उनकी लंबे समय से चली आ रही समानता और सम्मान की मांग की मान्यता के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, पूरे भारत में अधिकांश राज्यों में हिंदू पुजारियों को सरकारी कर्मचारी नहीं माना जाता, तेलंगाना इसका एक अपवाद है।

अन्य प्रमुख प्रस्तावों को भी मिली मंजूरी

ट्रस्ट ने लड्डू प्रसाद और रुद्राक्ष माला के वितरण के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाओं को मंजूरी दी, साथ ही 'संगम तीर्थ' जल विनिमय पहल के तहत सभी ज्योतिर्लिंगों को जोड़ने की एक योजना को भी हरी झंडी दी। दैनिक आगंतुकों के लिए लंबे समय से लंबित पहचान पत्रों के नवीनीकरण को भी फिर से शुरू किया जाएगा। इसके अलावा दंडी संन्यासियों को पहले की तरह दैनिक प्रसाद, भोजन और दक्षिणा मिलती रहेगी।

Abhishek Gupta

Abhishek Gupta

First Published: Sep 06, 2025 2:09 PM

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