जयललिता की करीबी शशिकला ने नोटबंदी में खरीदी थी शुगर फैक्ट्री, पुराने नोटों में चुकाए थे ₹450 करोड़: CBI

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला पर एक बड़ा आरोप सामने आया है। सीबीआई की एक एफआईआर के मुताबिक, शशिकला ने साल 2016 में नोटबंदी के दौरान एक शुगर फैक्ट्री को खरीदने के लिए कथित तौर पर पुराने नोटों में 450 करोड़ रुपये का भुगतान किया था

अपडेटेड Sep 06, 2025 पर 11:16 PM
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आयकर विभाग ने साल 2017 में शशिकला के खिलाफ जांच के दौरान कई जगहों पर छापेमारी की थी।

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला पर एक बड़ा आरोप सामने आया है। सीबीआई की एक एफआईआर के मुताबिक, शशिकला ने साल 2016 में नोटबंदी के दौरान एक शुगर फैक्ट्री को खरीदने के लिए कथित तौर पर पुराने नोटों में 450 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।

यह मामला पद्मादेवी शुगर लिमिटेड (PSL) से जुड़ा है। इस शुगर फैक्ट्री पर इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) को करीब 120 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। बैंक ने साल 2020 में इस खाते को फ्रॉड घोषित कर दिया था। सीबीआई ने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के निर्देश पर पद्मादेवी शुगर्स लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालांकि FIR में शशिकला का नाम आरोपी के रूप में दर्ज नहीं है।

FIR के मुताबिक, PSL की चीनी मिल को आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम के तहत जब्त कर लिया था, जिसे बैंक के पास गिरवी के तौर पर रखा गया था।


आयकर विभाग ने साल 2017 में शशिकला के खिलाफ जांच के दौरान कई जगहों पर छापेमारी की थी। कथित तौर पर आयकर विभाग को इस कार्रवाई के दौरान कई डॉक्यूमेंट्स और लूज शीट मिलें। इन डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि "नोटबंदी के दौरान, पटेल ग्रुप की एक चीनी मिल की खरीद के लिए 450 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।"। बैंक ने सीबीआई को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था। यह शिकायत अब एफआईआर का हिस्सा है।

जयललिता का 5 दिसंबर, 2016 को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।

इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि PSL के हितेश शिवगण पटेल, शपथ पत्र पर कहा था कि उन्हें कांचीपुरम स्थित चीनी कारखाने की बिक्री के लिए पुराने नोटों में कुल 450 करोड़ रुपये मिले थे। हितेश पटेल, PSL के वित्तीय मामलों मैनेज करते थे और प्रभात ग्रुप के प्रभारी थे।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कारखाने की बिक्री से जुड़े मेमोरंडम ऑफ एसोसिएशन (MoU) हितेश शिवगण पटेल, उनके पिता शिवगण पटेल और भाई दिनेश पटेल ने हस्ताक्षर किए थे। आयकर विभाग ने 18 नवंबर, 2017 को तलाशी के दौरान इन डॉक्यूमेंट्स को जब्त कर लिया था।

बेनामी संपत्ति का आरोप

आयकर विभाग ने जब्त दस्तावेजों और शेयर सर्टिफिकेट्स को आधार बनाते हुए फैक्ट्री को बेनामी संपत्ति घोषित किया। विभाग का दावा है कि सौदे के बाद भी पटेल ग्रुप फैक्ट्री का मालिकाना हक रखे हुए था और यह संपत्ति वास्तव में शशिकला के फायदे के लिए खरीदी गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि शशिकला लाभार्थी स्वामी हैं और इस मामले में संपत्ति बेनामी है।

सीबीआई की जांच और छापेमारी

अधिकारियों ने बताया कि जुलाई में जांच अपने हाथ में लेने के बाद सीबीआई ने 12 अगस्त को मामले के सिलसिले में तमिलनाडु में छह जगहों पर छापेमारी की। सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि IOB की ओर से लगाए आरोपों में बैंक से धोखाधड़ी कर क्रेडिट सुविधाएं लेना, संपत्ति का दुरुपयोग, फंड्स को अन्य कंपनियों में डायवर्ट करना, शेल और बेनामी कंपनियों में पैसा ट्रांसफर करना और नोटबंदी के दौरान संदिग्ध नकद जमा शामिल हैं।

सीबीआई ने एक बयान में कहा कि आरोपों में 2016 में नोटबंदी के दौरान संदिग्ध मूल के नकद जमा भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी और उसकी सहयोगी संस्थाओं पर उधार ली गई राशि के अंतिम उपयोग को छिपाने के लिए फर्जी या बेनामी कंपनियों को फंड ट्रांसफर करने का भी संदेह है।

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Vikrant singh

Vikrant singh

First Published: Sep 06, 2025 11:16 PM

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