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Toys Sector Scheme : खिलौने बनाओ, पैसे पाओ ! टॉय सेक्टर के लिए इंसेंटिव्स स्कीम जल्द: सूत्र

Toys Sector Scheme : सूत्रों के मुताबिक इस स्कीम के तहत कंपनियों के टर्नओवर के आधार पर इंसेंटिव तय होगा। इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के कंपोनेंट इंपोर्ट करने पर ड्यूटी में छूट मिल सकती है। स्कीम के प्रस्ताव पर संबंधित मंत्रालयों से सलाह मशविरा जारी है। जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। खिलौने बनाने के मामले में भारत को ग्लोबल हब बनाने का लक्ष्य है

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 22, 2025 पर 5:49 PM
Toys Sector Scheme : खिलौने बनाओ, पैसे पाओ ! टॉय सेक्टर के लिए इंसेंटिव्स स्कीम जल्द: सूत्र
भारत का खिलौना उद्योग, जो पहले दूसरे देशों से आयात पर निर्भर था,अब घरेलू स्तर पर उत्पादन कर रहा है और 153 देशों को निर्यात कर रहा है

Toys Sector Scheme : खिलौने बनाने वाले सेक्टर के लिए करीब 13 हजार करोड़ रुपए की इंसेंटिव स्कीम तैयार हो गई है। CNBC-आवाज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट में जल्द प्रस्ताव भेजा जाएगा। पूरी खबर बताते हुए CNBC-आवाज़ के इकोनॉमिक पॉलिसी एडिटर लक्ष्मण रॉय ने सूत्रों के हवाले से बताया कि टॉय सेक्टर के लिए जल्द ही इंसेंटिव्स स्कीम आ सकती है। टॉय सेक्टर के लिए करीब 13,000 करोड़ रुपए की स्कीम तैयार है। इस योजना का उद्देश्य डिजाइन सुधारने, गुणवत्ता बढ़ाने, पैकेजिंग और ब्रांडिंग को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाना है। सरकार का मानना है कि अगर नवाचार, गुणवत्ता और बाजार विस्तार पर ध्यान दिया गया, तो भारत का खिलौना उद्योग दुनिया में एक बड़ी पहचान बना सकता है।

सूत्रों के मुताबिक इस स्कीम के तहत कंपनियों के टर्नओवर के आधार पर इंसेंटिव तय होगा। इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के कंपोनेंट इंपोर्ट करने पर ड्यूटी में छूट मिल सकती है।

स्कीम के प्रस्ताव पर संबंधित मंत्रालयों से सलाह मशविरा जारी है। जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। खिलौने बनाने के मामले में भारत को ग्लोबल हब बनाने का लक्ष्य है।

बता दें कि भारत का खिलौना उद्योग, जो पहले दूसरे देशों से आयात पर निर्भर था,अब घरेलू स्तर पर उत्पादन कर रहा है और 153 देशों को निर्यात कर रहा है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जुलाई में दिल्ली में आयोजित 16वें टॉय बिज इंटरनेशनल बी2बी एक्सपो 2025 को संबोधित करते हुए ये जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि यह बदलाव लगातार नीतिगत समर्थन, गुणवत्ता मानकों के पालन और स्थानीय उत्पान इकाइयों को मजबूत करने से संभव हुआ है।

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