Nithari Killings Case: निठारी सीरियल हत्याकांड मामले में सुरेंद्र कोली बरी, सुप्रीम कोर्ट ने दिए तत्काल रिहाई के आदेश

Nithari Killings Case: निठारी हत्याकांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को नोएडा के निठारी में कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद हुआ था। सुरेंद्र कोली उस समय पंढेर की कोठी में घरेलू सहायक के तौर पर काम कर रहा था

अपडेटेड Nov 11, 2025 पर 3:18 PM
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Nithari Killings Case: शीर्ष अदालत ने सुरेंद्र कोली को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है

Nithari Killings Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (11 नवंबर) को 2006 के चर्चित निठारी सीरियल हत्याकांड मामले में दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। साथ ही उसकी दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के एक मामले में सुरेंद्र कोली की दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली उसकी सुधारात्मक याचिका को स्वीकार करते हुए उसे बरी किया। इससे उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। कोली निठारी हत्याकांड के अन्य मामलों में पहले ही बरी हो चुका है।

निठारी हत्याकांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को नोएडा के निठारी में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद हुआ था। कोली उस समय पंढेर की कोठी में घरेलू सहायक के तौर पर काम कर रहा था। यह आदेश भारत के चीफ जस्टिस (CJI) बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत तथा जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने पारित किया। उन्होंने कोली की याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की थी।

पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस विक्रम नाथ ने आदेश सुनाते हुए कहा, "उपर्युक्त कारणों से सुधारात्मक याचिका स्वीकार की जाती है।" इसी के साथ शीर्ष अदालत ने मामले में कोली को बरी कर दिया। साथ ही उसे पहले सुनाई गई सजा और जुर्माना रद्द कर दिया। पीठ ने कहा, "यदि किसी अन्य मामले या कार्यवाही में याचिकाकर्ता की आवश्यकता न हो तो उसे तत्काल रिहा कर दिया जाएगा।"

कोली को नोएडा के निठारी गांव में 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। उसे फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा था। उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गई थी। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसकी दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में कोली और सह-अभियुक्त पंढेर को निठारी से जुड़े कई अन्य मामलों में बरी कर दिया था। 2017 में निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को पलट दिया। अदालत ने कोली को 12 मामलों और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और पीड़ित परिवारों ने बरी किए जाने के इन फैसलों को बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन शीर्ष अदालत ने इस साल 30 जुलाई को सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सात अक्टूबर को कोली की सुधारात्मक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने कहा था कि उसकी याचिका स्वीकार किए जाने योग्य है।


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पीठ ने कहा था कि मामले में दोषसिद्धि मुख्यतः एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित थी। इससे साक्ष्य की पर्याप्तता पर सवाल उठते हैं। सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में ले लिया था और उसकी तलाशी के परिणामस्वरूप और अधिक मानव अवशेष बरामद हुए थे।

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