केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ महीने पहले उनसे संपर्क किया था और GST में सुधार के तरीकों पर विचार करने को कहा था। नेटवर्क18 के एडिटर-इन-चीफ राहुल जोशी से बात करते हुए निर्मला सीतारमण ने बताया कि प्रधानमंत्री के लाल किले से स्वतंत्रता दिवस भाषण में GST सुधारों की घोषणा करने से पहले ही वे इस विषय पर उनसे चर्चा शुरू कर चुके थे।
सीतारमण के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने GST सिस्टम को आसान बनाने पर जोर दिया था, ताकि खासकर मध्यम वर्ग पर बोझ कम हो सके। उन्होंने आगे बताया कि GST 2.0 को इस तरह बनाया गया है कि विवाद कम हों और व्यवसायों व राज्यों दोनों के लिए स्पष्टता बनी रहे।
सीतारमण ने कहा, “पहले की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी लगातार होने वाले केस और विवाद, जो अलग-अलग टैक्स स्लैब और अस्पष्ट वर्गीकरण की वजह से पैदा होते थे। नए सिस्टम में हमने पारदर्शिता और संतुलन लाने की कोशिश की है, ताकि राज्यों को नुकसान न लगे और कारोबारी भी भरोसे के साथ अपनी योजनाएं बना सकें।”
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि ये सुधार सिर्फ राजस्व के बारे में नहीं हैं, बल्कि भरोसा बनाने के लिए हैं। उन्होंने कहा, “सामानों को सोच-समझकर नई श्रेणियों में बांटकर और टैक्स रेट को आसान बनाकर हम यह संदेश दे रहे हैं कि सरकार छोटे कारोबारियों के योगदान को महत्व देती है, मध्यम वर्ग का सम्मान करती है और किसानों के हितों की रक्षा करती है।”
नए GST ढांचे में दो मुख्य टैक्स स्लैब रखे गए हैं- जरूरी सामान पर 5% और सामान्य वस्तुओं और सेवाओं पर 18%। इसके अलावा, लग्जरी और हानिकारक सामान (Sin Goods) पर 40% टैक्स लगाया जाएगा।
सरकार का मानना है कि इस बदलाव से टैक्स और उससे जुड़े नियमों का बोझ कम होगा, पारदर्शिता बढ़ेगी और 8 साल बाद GST सिस्टम को एक नई शुरुआत मिलेगी।