प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने घुसपैठ से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय जनसांख्यिकी मिशन (high-powered demography mission) शुरू करने का निर्णय लिया है। स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन के खतरों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि अवैध घुसपैठिये बिना अनुमति के भारत में प्रवेश करते हैं और वैध नागरिकों की संपत्ति पर अतिक्रमण करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं देश को एक चिंता, एक चुनौती के प्रति सचेत करना चाहता हूँ। एक सोची-समझी साजिश के तहत, देश की जनसांख्यिकी को बदला जा रहा है, एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं। घुसपैठिए मेरे देश के युवाओं की रोज़ी-रोटी छीन रहे हैं। घुसपैठिए मेरे देश की बहनों और बेटियों को निशाना बना रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा कि इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, "ये घुसपैठिए भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह करके उनकी ज़मीन हड़प लेते हैं। देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। जब सीमावर्ती इलाकों में जनसांख्यिकी परिवर्तन होता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन जाता है। कोई भी देश अपनी ज़मीन घुसपैठियों के हवाले नहीं कर सकता। इसलिए, मैं कहना चाहूँगा कि हमने एक 'हाई पावर्ड डेमोग्रॉफी मिशन' शुरू करने का फ़ैसला किया है।"
देश में अवैध आव्रजन एक बड़ी चुनौती बन गया है। सरकारी अधिकारी इसे रोकने को लिए विभिन्न शहरों में छापेमारी कर रहे हैं तथा भारतीय नागरिक के रूप में आने वाले विदेशी नागरिकों (विशेष रूप से बांग्लादेश से आने वाले) का पता लगाने के लिए इनके पहचान की जांच कर रहे हैं।
दरअसल,घुसपैठ 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था। इस पर सरकारी कार्रवाई की विपक्ष और खासकर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी आलोचना की है। तृणमूल का दावा है कि घुसपैठियों के आड़ में बांग्ला भाषी प्रवासियों को भी निशाना बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर 103 मिनट का भाषण दिया जो भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया सबसे लंबा भाषण है।