Putin India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज इंडिया आ रहे है हैं। गुरुवार को शाम लगभग 6:30 बजे राजधानी दिल्ली पहुंचेंगे, जहां उनका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण आधिकारिक दौरा शुरू होगा। पुतिन ऐसे समय में भारत आ रहे है जब रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने इंडिया पर एक्सट्रा टैरिफ लगाया हुआ है। अमेरिका ये चाहता है कि भारत, रूस से तेल खरीदना बंद कर दे। इस बीच रूसी राष्ट्रपति के भारत आने से दुनियाभर की निगाहे इसी पर टिकी हुई है कि दोनों देशों के बीच किन मुद्दों पर समझौते होते है। आइए आपको बताते हैं राष्ट्रपति पुतिन का पूरा शेड्यूल।
27 घंटे भारत में रहेंगे पुतिन
दिल्ली में लैंड होने के तुरंत बाद वह सीधे प्रधानमंत्री के आवास के लिए रवाना होंगे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक वन-टू-वन रात्रिभोज बैठक होगी, जिसके रात 8:30 बजे तक समाप्त होने की उम्मीद है। इस बैठक के बाद, पुतिन रात के लिए अपने होटल लौट जाएंगे, ताकि अगले दिन के व्यस्त कार्यक्रम के लिए तैयार हो सकें। शुक्रवार को पुतिन की दिनचर्या काफी व्यस्त रहने वाली है। दिन की शुरुआत सुबह 11 बजे राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति के साथ औपचारिक मुलाकात से होगी, जिसके बाद वह राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और वहां लगभग 30 मिनट बिताएंगे।
इसके बाद पुतिन हैदराबाद हाउस जाएंगे, जहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दोपहर 2 बजे आयोजित किए जाने वाले भोज तक रुकेंगे। दोपहर में हैदराबाद हाउस में महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें होंगी, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर विस्तार से चर्चा होने की उम्मीद है। रूसी राष्ट्रपति से दोपहर के भोज से ठीक पहले एक प्रेस वक्तव्य देने की भी उम्मीद है।
अपने दौरे को समाप्त करने से पहले पुतिन भोज के बाद एक घंटे के लिए भारत मंडपम में रुकेंगे। शाम को वह RT TV लॉन्च कार्यक्रम में भाग लेंगे, जिसके बाद वह शाम 7:30 बजे के आसपास रात्रिभोज के लिए फिर से राष्ट्रपति भवन जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि वह आगमन के 27 घंटे के भीतर देश से प्रस्थान कर जाएंगे, इस प्रकार यह एक संक्षिप्त लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यात्रा होगी। यह पुतिन की चार वर्षों में भारत की पहली यात्रा है और यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद उनकी पहली यात्रा है।
भारत के 'कंधे से कंधा मिलाकर' खड़ा है रूस: क्रेमलिन
यह दौरा दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नई दिल्ली के लिए, यह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने और महत्वपूर्ण रक्षा आपूर्ति, कच्चे तेल तथा उर्वरकों के लिए मॉस्को पर अपनी निर्भरता बनाए रखने का प्रयास करने का समय है। वहीं, मॉस्को के लिए, यह अपने सबसे स्थिर दीर्घकालिक साझेदारों में से एक के साथ 'विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी' की पुष्टि करने का अवसर है। क्रेमलिन ने इस संबंध को विश्वास और निरंतरता में निहित बताया है, और रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि रूस राष्ट्र निर्माण के महत्वपूर्ण चरणों में भारत के 'कंधे से कंधा मिलाकर' खड़ा रहा है। 2000 में पुतिन की पहली यात्रा के बाद यह 23वां शिखर सम्मेलन होगा।