RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिकी हायर एक्ट को भारत के लिए बड़ा खतरा बताया, जानिए इसका क्या असर पड़ेगा

Raghuram Rajan: रिपब्लिकन सीनेटर बर्नी मोरेनो ने हायर बिल को पेश किया था। इस कानून के लागू होने पर दूसरे देशों से सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर 25 फीसदी एक्साइज टैक्स लगाने का प्रस्ताव है। इस कानून के लागू होने पर इंडिया में आईटी और आईटीआधारित सेवाओं के बाजार को बड़ी चोट लगेगी

अपडेटेड Nov 03, 2025 पर 4:59 PM
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हायर एक्ट का मकसद का मकसद अमेरिकी कंपनियों को सेवाओं की आउटसोर्सिंग करने से रोकना है।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमेरिकी हायर एक्ट को भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा बताया है। अभी इस एक्ट पर अमेरिकी कांग्रेस में विचार हो रहा है। राजन का मानना है कि अगर यह एक्ट लागू होता है तो इससे भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। यह एक्ट एच-1बी वीजा की नई फीस के मुकाबले भारत के लिए ज्यादा मुसीबत पैदा करेगा। हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करने का ऐलान किया था।

हायर एक्ट से सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर टैरिफ लगेगा

Hire Act के लागू होने पर अमेरिका में सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर भी टैरिफ लगेगा। अभी सर्विसेज की आउटसोर्सिंग पर टैरिफ नहीं लगता है। अमेरिकी सरकार पहले ही इंडिया पर 50 फीसदी टैरिफ लगा चुकी है। अमेरिका ने इतना ज्यादा टैरिफ सिर्फ ब्राजील पर लगाया है। 50 फीसदी टैरिफ का असर इंडिया के एक्सपोर्ट पर पड़ा है।


अमेरिकी कंपनियां कई सेवाओं की आउटसोर्सिंग करती हैं

अमेरिकी कंपनियां कई सेवाओं की आउटसोर्सिंग करती हैं। टैरिफ लगने से आउटसोर्सिंग की कॉस्ट बढ़ जाएगी। इससे सेवाएं आउटसोर्स करने वाली कंपनियों के लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो जाएगी। अमेरिकी कंपनियां भारत से सर्विसेज की काफी ज्यादा आउटसोर्सिंग करती हैं। इससे भारत को कई तरह से फायदा होता है। यहां रोजगार के मौके बढ़ते हैं।

भारतीय आईटी सेक्टर को बड़े नुकसान की आशंका

हायर बिल में दूसरे देशों से सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर 25 फीसदी एक्साइज टैक्स लगाने का प्रस्ताव है। इस कानून के लागू होने पर इंडिया में आईटी और आईटीआधारित सेवाओं के बाजार को बड़ी चोट लगेगी। इंडिया में कई अमेरिकी कंपनियों के ग्लोबल कपैबिलिटी सेंटर्स हैं। इस बिल को रिपब्लिकन सीनेटर बर्नी मोरेनो ने पेश किया था। अभी इस पर अमेरिकी कांग्रेस में विचार चल रहा है। इस कानून का मकसद अमेरिकी कंपनियों को सेवाओं की आउटसोर्सिंग करने से रोकना है। अमेरिकी सरकार का मानना है कि अगर कंपनियां सेवाएं आउटसोर्स नहीं करेंगी तो इससे अमेरिका में रोजगार के मौके बढ़ेंगे।

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भारतीय आईटी कंपनियों के रेवेन्यू में अमेरिका की 50-60% हिस्सेदारी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि हायर बिल से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय आईटी कंपनियों को होगा। इंडिया का आईटी सेक्टर करीब 260 अरब डॉलर का है। भारतीय आईटी कंपनियों के रेवेन्यू में अमेरिका की 50-60 फीसदी हिस्सेदारी है। इंडिया के आईटी सेक्टर में 30 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अगर अमेरिकी कंपनियां भारत से सेवाओं की आउटसोर्सिंग बंद करती हैं तो इससे आईटी सेक्टर में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।

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