RBI MPC Meet 2025 : आरबीआई MPC ने आज अपने फैसलों का ऐलान कर दिया है। RBI ने ब्याज दरों में 0.25% कटौती की है। रेपो रेट 0.25% घटाकर 5.25% कर दिया गया है। MPC सदस्यों की सर्वसम्मति से कटौती का ये फैसला लिया है। SDF रेट भी 5.25% से घटाकर 5% किया गया है। MSF रेट 5.75% से घटाकर 5.50% किया गया है। MPC का रुख 'NEUTRAL' पर बरकरार है।
एमपीसी से फैसलों के बारे में बताते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि Q1FY27 CPI अनुमान 4.5% से घटाकर 3.9% किया गया है। वहीं, FY26 Q4 CPI अनुमान 4% से घटाकर 2.9% कर दिया गया है। FY26 Q3 CPI अनुमान 1.8% से घटाकर 0.6% कर दिया गया है। वहीं, FY26 रिटेल महंगाई अनुमान 2.6% से घटाकर 2% किया गया है। आने वाले समय में कोर इन्फ्लेशन स्थिर रहेगा।
कीमती धातुओं की कीमतें कम होने (लगभग 50 bps) के असर से अंडरलाइंग इन्फ्लेशन का दबाव और भी कम हुआ है। हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स बताते हैं कि Q3 में घरेलू आर्थिक गतिविधि अच्छी बनी हुई है। GST रैशनलाइज़ेशन ने इस साल फेस्टिव डिमांड को सपोर्ट मिला है। कुछ इंडिकेटर्स में कमज़ोरी के कुछ संकेत हैं। ग्रामीण मांग मज़बूत बनी हुई है, शहरी मांग धीरे-धीरे ठीक हो रही है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इकोनॉमी में शानदार ग्रोथ दिख रही है। ग्रोथ के लिहाज से मौजूदा साल संतोषजनक है। बैंकिंग सिस्टम की स्थिति बेहतर बनी हुई है। रियल GDP ग्रोथ में अच्छी बढ़त दिखी है। जियो पॉलिटिक्स, ट्रेड में अनिश्चितता बरकरार है। 28 नवंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार 68,600 करोड़ डॉलर था।
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी रखने पर फोकस बना हुआ है। बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ में बढ़ोतरी दिखी है। NBFCs के फाइनेंशियल मापदंड बेहतर हुए हैं। कस्टमर सर्विस को बेहतर करने पर फोकस है। ग्लोबल चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था मजबूत है। पहली छमाही में ग्रॉस FDI मजबूत रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार से 11 माह का इंपोर्ट कवर है। 28 नवंबर तक विदेशी मुद्रा भंडार 68,600 करोड़ डॉलर था।
राइट होराइजन्स PMS के फाउंडर और फंड मैनेजर अनिल रेगो ने कहा कि रेपो रेट को 5.25% तक कम करके और न्यूट्रल रुख बनाए रखते हुए, RBI ने मॉनेटरी पॉलिसी को बदलते डिसइन्फ्लेशन ट्रेंड के साथ अलाइन किया है, साथ ही लिक्विडिटी सपोर्ट के ज़रिए रुपये पर पड़ने वाले दबाव को बैलेंस करने की ज़रूरत को भी स्वीकार किया है। OMO परचेज़ गाइडेंस और संभावित FX स्वैप ग्लोबल अनिश्चितताओं के बीच फाइनेंशियल स्थिति को मजबूत करने के RBI के इरादे को और भी साफ करते हैं।
मार्केट के लिए, यह पॉलिसी लिक्विडिटी संकट से जुड़े बड़े रिस्क को कम करते हुए फिक्स्ड इनकम में ड्यूरेशन स्ट्रेटेजी के लिए एक अच्छा माहौल बनाता है। कुल मिलाकर, सेंट्रल बैंक ने ग्रोथ को बढ़ावा देने और मैक्रो प्रूडेंशियल निगरानी के बीच सही बैलेंस बनाया है। अगर महंगाई कंट्रोल में रहती है और विदेशी निवेश में स्थिरता आती है,तो यह फैसला मौजूदा घरेलू ग्रोथ साइकिल को वित्त वर्ष 2027 तक बढ़ाने में मदद कर सकता है,जिससे फाइनेंशियल हालात धीरे-धीरे और ज़्यादा बेहतर होंगे।
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