कश्मीर में वंदे मातरम्' पर छिड़ गया विवाद, MMU ने सरकार पर लगाया 'सांस्कृतिक उत्सव' के बहाने विचारधारा थोपने का आरोप

Mirwaiz Umar Farooq: जम्मू-कश्मीर सरकार के संस्कृति विभाग के अवर सचिव ने एक विज्ञप्ति जारी कर 7 नवंबर 2025 से ’वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेश-व्यापी कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही थी

अपडेटेड Nov 06, 2025 पर 9:13 AM
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MMU ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से इस 'जबरन निर्देश' को वापस लेने का आग्रह किया है

Vande Mataram Controversy: जम्मू-कश्मीर में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ मनाने के सरकारी निर्देश पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा (MMU), जिसमें ग्रैंड मुफ्ती मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम भी शामिल हैं, ने इस निर्देश पर कड़ी आपत्ति जताई है। MMU का कहना है कि 'वंदे मातरम्' का गायन या पाठ करना 'गैर-इस्लामी' है, क्योंकि इसमें ऐसी भक्ति अभिव्यक्तियां शामिल हैं जो अल्लाह की पूर्ण एकता (तौहीद) की मौलिक इस्लामी मान्यता के विपरीत है।

इस मामले में MMU ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से आग्रह किया है कि वे सुनिश्चित करें कि किसी भी छात्र या संस्था को उनकी धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध कार्य करने के लिए मजबूर न किया जाए।

क्या है सरकारी निर्देश?


जम्मू-कश्मीर सरकार के संस्कृति विभाग के अवर सचिव ने एक विज्ञप्ति जारी कर 7 नवंबर 2025 से ’वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से केंद्र शासित प्रदेश-व्यापी कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही थी। इस कार्यक्रम में युवा छात्रों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया गया है।

MMU, जो विभिन्न विचारधाराओं के धार्मिक समूहों का प्रतिनिधित्व करता है, ने कहा कि इस निर्देश ने जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के बीच गहरा दुःख पैदा कर दिया है, और कई लोगों ने इस मुद्दे पर धार्मिक नेतृत्व से संपर्क किया है। MMU ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से इस 'जबरन निर्देश' को वापस लेने का आग्रह किया है। MMU ने चेतावनी दी है कि अगर आदेश रद्द नहीं किया गया, तो वह कार्रवाई के अगले कदम पर फैसला करने के लिए जम्मू-कश्मीर के सभी धार्मिक नेताओं की एक बैठक बुलाएगा।

इस्लामी सिद्धांतों का दिया हवाला

MMU द्वारा जारी बयान में स्पष्ट किया गया है कि इस्लाम किसी भी ऐसे कार्य की अनुमति नहीं देता है जिसमें ईश्वर के अलावा किसी और या किसी भी चीज के प्रति पूजा या श्रद्धा व्यक्त की जाती हो। MMU ने कहा कि मुसलमानों को अपनी मातृभूमि से गहरा प्रेम करने और उसकी सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन यह भक्ति सेवा, करुणा और समाज में योगदान के माध्यम से व्यक्त होनी चाहिए, न कि आस्था से टकराने वाले कृत्यों से। बयान में कहा गया है कि मुस्लिम छात्रों या संस्थानों को उनकी आस्था के विपरीत गतिविधियों में भाग लेने के लिए मजबूर करना अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य है।

'सांस्कृतिक उत्सव' के बहाने विचारधारा थोपने का आरोप

MMU ने आरोप लगाया कि 'वंदे मातरम्' पर सरकार का निर्देश सांस्कृतिक उत्सव की आड़ में मुस्लिम बहुल क्षेत्र पर एक 'हिंदुत्व-प्रेरित विचारधारा' थोपने का जानबूझकर किया गया प्रयास प्रतीत होता है।

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