Mohan Bhagwat: 'हिंदू एकजुट हो तो बदल जाएगा...', बांग्लादेश पर खुलकर बोले मोहन भागवत

Mohan Bhagwat : RSS प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ का काम नियंत्रण या दखल देना नहीं, बल्कि मित्रता, विश्वास और सच्चे प्रेम के रास्ते पर चलना है। उन्होंने कहा कि संघ को लेकर अक्सर यह आरोप लगाए जाते हैं कि वह दूसरों को निर्देश देता है या दबाव बनाता है, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है

अपडेटेड Dec 21, 2025 पर 6:08 PM
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हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गंभीर चिंता जताई है।

Mohan Bhagwat : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर रविवार (21 दिसंबर) को कोलकाता के साइंस सिटी में एक भव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में मोहन भागवत शामिल हुए और उन्होंने संघ की कार्यप्रणाली, स्वयंसेवकों की भूमिका और RSS को लेकर लगने वाले आरोपों पर खुलकर अपनी बात रखी। वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गंभीर चिंता जताई है। रविवार को उन्होंने कहा, 'वे वहां अल्पसंख्यक हैं और स्थिति काफी कठिन है। इसके बावजूद, अधिकतम सुरक्षा के लिए वहां के हिंदुओं को एकजुट रहना होगा। विश्व भर के हिंदुओं को उनकी मदद करनी चाहिए।

RSS प्रमुख ने कही ये बात


कोलकाता में हुए कार्यक्रम की अनुमति को लेकर कोलकाता पुलिस और आयोजकों के बीच खींचतान देखने को मिली। मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय तक पहुंच गया, जहां हस्तक्षेप के बाद शनिवार शाम को सम्मेलन की अनुमति दी गई। इसके बाद RSS प्रमुख मोहन भागवत सम्मेलन में पहुंचे और अपना संबोधन दिया। अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि RSS किसी को नियंत्रित करने वाला संगठन नहीं है। उन्होंने कहा, "कई संगठन हैं, कई लोग हैं जो अपना व्यक्तिगत काम भी कर रहे हैं। ये सभी संघ के स्वयंसेवक हैं। उनका निर्णय, सुधार और दृष्टिकोण संघ से संस्कार के रूप में मिलता है, लेकिन वे स्वतंत्र और आत्मनिर्भर होते हैं।"

RSS के पास कोई  रिमोट कंट्रोल नहीं...

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "RSS के पास कोई 'रिमोट कंट्रोल' नहीं है। संघ का स्वयंसेवकों पर कोई नियंत्रण नहीं होता। यह संघ की व्यवस्था नहीं है। स्वयंसेवक शाखा में आते हैं, विचार लेते हैं और फिर अपने क्षेत्र में नियमों के अनुसार काम करते हैं।" वहीं, उन्होंने स्पष्ट किया कि कई पूर्व स्वयंसेवक आज राजनीति, समाज और प्रशासन में बड़े पदों पर हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि संघ उन्हें निर्देश देता है। उन्होंने कहा, "कई पूर्व स्वयंसेवक आज विभिन्न संगठनों में काम कर रहे है। कुछ लोग पॉलिटिक्स में भी है, सत्ता में भी है। इसीलिए बहुत लोगों की यह परिवृत्ति रहती है कि संघ को BJP के द्वारा समझना, तो ये उनकी बहुत बड़ी गलती होगी।"

RSS प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ का काम नियंत्रण या दखल देना नहीं, बल्कि मित्रता, विश्वास और सच्चे प्रेम के रास्ते पर चलना है। उन्होंने कहा कि संघ को लेकर अक्सर यह आरोप लगाए जाते हैं कि वह दूसरों को निर्देश देता है या दबाव बनाता है, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब पश्चिम बंगाल के राजनीति में विपक्षी दल बार-बार BJP को निशाना बनाते हुए RSS का नाम लेते रहे हैं। चुनाव के दौरान RSS और BJP के रिश्तों को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कई बार यह भी कहा जाता है कि RSS राजनीतिक फैसलों को प्रभावित करता है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जो स्वयंसेवक जिस क्षेत्र में काम करता है, उसे उसी क्षेत्र के नियमों और परिस्थितियों के अनुसार आगे बढ़ना होता है।

उन्होंने कहा, "बाहर काम करने वालों को कई तरह की कठिनाइयों और विरोध का सामना करना पड़ता है। उनसे विचार-विमर्श जरूर होता है, लेकिन फैसला वही लेते हैं। अगर उन्हें हमारी मदद चाहिए, तो हम हमेशा अच्छे काम के लिए सहयोग करते हैं।" चुनावी माहौल वाले बंगाल में मोहन भागवत का यह बयान खास मायने रखता है। RSS प्रमुख ने एक तरह से यह संदेश देने की कोशिश की है कि संघ को राजनीतिक साजिशों से जोड़कर देखना गलत है।

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