SIR से पश्चिम बंगाल में चमत्कार! 37 साल बाद लापता बेटा लौटा घर, परिवार में खुशी की लहर

SIR In West Bengal: पश्चिम बंगाल में चक्रवर्ती परिवार का सबसे बड़ा बेटा विवेक चक्रवर्ती 1988 में गायब हो गया था। उसके बाद वह कभी घर नहीं लौटा। परिवार ने हर जगह उसकी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार, उम्मीद खत्म हो गई। लेकिन किस्मत ने ऐसा चक्र चलाया कि SIR की वजह से 37 साल बाद वह बेटा फिर अपने घर लौट रहा है

अपडेटेड Nov 23, 2025 पर 7:16 PM
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SIR ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया है

SIR In West Bengal: वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया है। बीजेपी और टीएमसी में आरोप-प्रत्यारोप जारी है। इस बीच, SIR प्रक्रिया बंगाल के पुरुलिया में एक अनोखी कहानी का हिस्सा बन गया है। SIR ने लगभग चार दशकों से बिछड़े एक परिवार को फिर से मिलाने में मदद की है। जी हां, पुरुलिया के गोबरांडा गांव में वोटर विस्ट के वेरिफिकेशन ने चक्रवर्ती परिवार को ऐसे व्यक्ति को फिर से खोजने में मदद की जिसे वे लंबे समय से हमेशा के लिए खो चुके थे।

चक्रवर्ती परिवार का सबसे बड़ा बेटा विवेक चक्रवर्ती 1988 में गायब हो गया था। उसके बाद वह कभी घर नहीं लौटा। परिवार ने हर जगह उसकी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार, उम्मीद खत्म हो गई। लेकिन किस्मत ने ऐसा चक्र चलाया कि 37 साल बाद वह बेटा फिर अपने घर लौट रहा है।

दरअसल, न्यूज 18 के मुताबिक विवेक का छोटा भाई प्रदीप चक्रवर्ती क्षेत्र का बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) है। वह SIR प्रक्रिया के तहत फॉर्म बांटने के काम में जुटा हुआ था। हर फॉर्म पर उसका नाम और मोबाइल नंबर छापा हुआ था। इन्हीं फॉर्मों में से एक पर नजर पड़ने के बाद एक फोन कॉल आया और वहीं से परिवार में खुशी की लहर दौड़ आई।


फोन करने वाला कोलकाता का एक नौजवान था जिसे वोटर डॉक्यूमेंटेशन में मदद चाहिए थी। पहले तो बातचीत रूटीन थी। लेकिन जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी। नाम और परिवार का इतिहास धीरे-धीरे एक जैसा होता गया। सवाल-जवाब आगे बढ़ ही रहा था कि अचानक प्रदीप को अहसास हुआ कि वह अपने ही भतीजे से बात कर रहा है। वह विवेक के बेटे की कॉल थी।

कुछ पल के लिए दोनों तरफ सन्नाटा छा गया। फिर कुछ सवालों ने सालों की दूरी पर भावनाओं का पुल बना दिया। प्रदीप ने याद करते हुए कहा, "मेरा बड़ा भाई आखिरी बार 1988 में घर आया था। उसके बाद, वह गायब हो गया। हमने हर जगह उसे ढूंढा। लेकिन उसने सारे रिश्ते तोड़ दिए। जब ​​इस लड़के ने मुझे फोन किया और उसके जवाब ऐसी चीजों से मेल खाते थे जो सिर्फ हमारे परिवार को पता होतीं, तो मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने ही भतीजे से बात कर रहा हूं।"

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इस खबर से भावनाओं की एक ऐसी लहर उठी जिसकी किसी भी तरफ से उम्मीद नहीं थी। सावधानी भरे सवाल लंबी खामोशी में बदल गए। फिर 37 साल बाद दो भाइयों के बीच पहली बातचीत हुई। विवेक ने कहा, “इस एहसास को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। 37 साल बाद मैं आखिरकार घर लौट रहा हूं। मैंने सबसे बात की है। मैं खुशी से भर गया हूं। मैं इलेक्शन कमीशन को धन्यवाद देता हूं, क्योंकि SIR प्रोसेस के बिना यह रीयूनियन कभी नहीं हो पाता।" रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी वापसी की तैयारी चल रही है।

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