लेह के जिलाधिकारी ने मंगलवार (14 अक्टूबर) को अपने आदेश का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और आवश्यक सेवाओं के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल थे। इसके कारण उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया। लेह के DM ने शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में इस बात से इनकार किया कि वांगचुक को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था या हिरासत में उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि हिरासत के कारणों और तथ्यों के बारे में उन्हें अवगत करा दिया गया था।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा दिए जाने और इसे छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दो दिन बाद वांगचुक को 26 सितंबर को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था। इस हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई और 90 घायल हो गए थे। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
पीटीआई के मुताबिक जिलाधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, "मैं बंदी को हिरासत में लिए जाने के कारणों से संतुष्ट था और अब भी संतुष्ट हूं।" यह हलफनामा वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो की ओर से शीर्ष अदालत में दायर की गई याचिका के जवाब में दाखिल किया गया है। इसमें उन्होंने रासुका के तहत अपने पति की हिरासत को चुनौती दी है। साथ ही उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत हिरासत में लिए जाने के कारणों के साथ-साथ राजस्थान के जोधपुर स्थित केंद्रीय जेल में उनके शिफ्टिंग के बारे में स्पष्ट रूप से सूचित किया गया था। यह सूचना उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो को भी तुरंत फोन पर दी गई। इसे उन्होंने हलफनामे में कहा गया है कि वांगचुक ने अपनी याचिका में इस बात को स्वीकार किया है।
लेह के जिला मजिस्ट्रेट ने दलील दी कि हिरासत के आधार और तथ्यों के बारे में बंदी को सूचित कर दिया गया था। डीएम ने कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 10 के प्रावधान के तहत आवश्यकता के अनुरूप केंद्र शासित प्रदेश, लद्दाख द्वारा हिरासत के आदेश को निर्धारित समयावधि के भीतर सलाहाकार बोर्ड को अग्रेषित कर दिया गया। साथ ही वह आधार भी संलग्न किए गए जिन पर मैने यह मेरे आदेश पारित किया।"
'वांगचुक को एकांत कारावास में नहीं रखा गया है'
जोधपुर जेल सुपरिटेंडेंट ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि रासुका के तहत हिरासत में लिए गए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को एकांत कारावास में नहीं रखा गया है। उन्हें लोगों से मिलने सहित वे सभी अधिकार प्राप्त हैं, जो एक कैदी को मिलते हैं। वांगचुक राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं। जेल सुपरिटेंडेंट ने शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कहा कि वांगचुक किसी भी पुरानी बीमारी से पीड़ित नहीं हैं। वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं।
हलफनामे में कहा गया है, "बंदी को जनरल वार्ड में 20 गुणा 20 फुट के एक मानक बैरक में रखा गया था, जहां वह आज तक बंद हैं। फिलहाल वह इस जेल बैरक में अकेले रह रहे हैं।" हलफनामे में कहा गया है कि स्पष्टता के लिए यह बताना जरूरी है कि वांगचुक एकांत कारावास में नहीं हैं, क्योंकि उन्हें बंदियों को मिलने वाले सभी अधिकार प्राप्त हैं।
जेल अधीक्षक ने बताया कि वांगचुक पूरी तरह से स्वस्थ हैं और हिरासत के बाद से हर दिन सामान्य आहार ले रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है, "यह रेखांकित करना आवश्यक है कि राजस्थान कारागार नियमावली, 2022 के नियम 538 के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत बंदियों को मामले के तथ्यों से परिचित स्थानीय पुलिसकर्मी की उपस्थिति के बिना अपने मुलाकातियों से बातचीत करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
इसमें कहा गया है, "नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि बंदी अपने मुलाकातियों से बातचीत कर सके, जेल प्रशासन ने बंदी से मुलाकात के दौरान स्थानीय पुलिसकर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित की है।"