भारत की प्रमुख फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी ने अपनी प्लेटफॉर्म फीस में तीसरी बार वृद्धि की है और अब यह प्रति ऑर्डर 15 रुपए तक पहुंच गई है। यह कदम त्योहारी सीजन में बढ़ती मांग और कारोबार को मजबूती देने के उद्देश्य से उठाया गया है। इससे पहले स्वतंत्रता दिवस पर फीस 14 रुपए तक पहुंची थी, लेकिन कुछ समय बाद इसे घटाकर 12 रुपए किया गया था। अब मांग फिर से बढ़ने के कारण इसे 15 रुपए पर स्थिर किया गया है।
स्विगी के दैनिक 2 मिलियन से अधिक ऑर्डर के आधार पर, इस बढ़ी हुई फीस से कंपनी को रोजाना लगभग 3 करोड़ रुपए अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। वित्तीय तिमाही में कंपनी का नुकसान लगभग दोगुना होकर 1200 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। इसका सबसे बड़ा कारण कंपनी द्वारा त्वरित डिलीवरी सेवा इंस्टामार्ट में किए गए भारी निवेश हैं।
इस बीच स्विगी के मुख्य प्रतिस्पर्धी जोमैटो ने भी त्योहारी अवसर पर प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाकर 12 रुपए कर दी है। जोमैटो के रोजाना औसतन 23 से 25 लाख ऑर्डर आते हैं जिससे इसे भी अधिक आय होने का अनुमान है। प्लेटफॉर्म फीस जो डिलीवरी चार्ज, टैक्स और रेस्टोरेंट कमीशन से अलग आती है, दोनों प्रमुख फूड डिलीवरी कंपनियों के लिए लाभ सुधारने का महत्वपूर्ण तरीका बन गई है। इस छोटी-छोटी बढ़ोतरी से ग्राहक पर बहुत अधिक असर नहीं पड़ता, लेकिन कंपनी के लिए यह बड़े पैमाने पर मुनाफे में इजाफा कर सकता है।
फेस्टिव सीजन के कारण जब ऑर्डर्स की संख्या चरम पर होती है, तब ये कंपनियां मुनाफा बढ़ाने के लिए ऐसे शुल्क में बदलाव करती हैं। हालांकि इस बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं के खर्च में थोड़ी वृद्धि होती है, इसके बावजूद वे लोकप्रिय ऑनलाइन फूड डिलीवरी विकल्प बने हुए हैं।
स्विगी और जोमैटो, दोनों ही प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाने के बावजूद सेवा गुणवत्ता बनाए रखने और बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में लगे हुए हैं ताकि ग्राहक संतुष्ट रहें और कारोबार बढ़ता रहे। आगामी त्योहारों में इस घाटे को कम करने और मुनाफा बढ़ाने के लिए ये कंपनियां और भी रणनीति अपना सकती हैं। इस तरह, प्लेटफॉर्म फीस में लगातार हो रही यह बढ़ोतरी भारतीय ऑनलाइन फूड डिलीवरी मार्केट के तेजी से बदलते परिदृश्य को दर्शाती है।